मास्को: रूस ने दावा किया है कि उसकी कोरोना वायरस वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल में 100 फीसदी सफल रही है. इस वैक्सीन को मॉस्को स्थित रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़ी एक संस्था गेमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बनाया है. वैक्सीन का ट्रायल 42 दिन पहले शुरू हुआ था. ट्रायल रिपोर्ट के मुताबिक, जिन वॉलंटियर्स को वैक्सीन की खुराक दी गई उनमें वायरस के खिलाफ इम्युनिटी विकसित हुई है. किसी वॉलंटियर्स में निगेटिव साइडइफेक्ट नहीं मिले. ट्रायल के परिणाम के बाद रशिया सरकार ने वैक्सीन की तारीफ की है. हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस वैक्सीन के इस्तेमाल को लेकर चेताया है. वहीं ब्रिटेन ने भी रशिया वैक्सीन के इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया.
रूस सरकार का दावा है कि Gam-Covid-Vac Lyo नाम की ये वैक्सीन अगस्त में रजिस्टर हो जाएगी और सितंबर में इसका मास-प्रोडक्शन भी शुरू हो जाएगा. साथ ही अक्टूबर से देशभर में टीकाकरण शुरू कर दिया जाएगा.
रशियन वैक्सीन पर क्यों उठ रहे सवाल
ब्रिटेन-अमेरिका समेत तमाम यूरोपीय देश के कुछ एक्सपर्ट्स रशियन वैक्सीन की सेफ्टी और इफेक्टिवनेस पर सवाल उठा रहे हैं. असल में उन्हें रूस के फास्ट-ट्रैक अप्रोच से दिक्कत है. कुछ विशेषज्ञों ने वैक्सीन के तेजी से विकसित किए जाने पर चिंता जाहिर की है. उन्होंने वैक्सीन की सुरक्षा के प्रति सुनिश्चित हुए बिना राष्ट्रीय प्रतिष्ठा की खातिर उठाया गया कदम बताया. अमेरिका के सबसे बड़े महामारी रोग विशेषज्ञ एंथोनी फाउची ने आशंका जताई है कि रूस और चीन के वैक्सीन इफेक्टिव और सेफ नहीं है. उन्होंने इस वैक्सीन के जांच की मांग भी की है.
दरअसल, रूस ने वैक्सीन टेस्टिंग को लेकर कोई साइंटिफिक डेटा जारी नहीं किया है. इस वजह से विशेषज्ञ वैक्सीन की इफेक्टिवनेस और सेफ्टी को लेकर आशंकित हैं. ये भी कहा जा रहा है कि गेमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों पर रूसी रक्षा मंत्रालय का दबाव है. रूसी सरकार अपने देश को ग्लोबल साइंटिफिक फोर्स के तौर पर पेश करना चाहती है.
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