Russia Oil: दोस्त रूस ने भारत को दिया झटका, पहले कच्चे तेल पर दी भारी छूट, अब किया ये खेल
रूसी तेल में अचानक बढ़ोतरी की सबसे बड़ी वजह ये है कि सऊदी अरब और रूस ने तेल उत्पादन में काफी कटौती कर दी है. उत्पादन में कटौती की वजह से सप्लाई कम हो गई है और दाम बढ़ गए हैं.
Russian Oil Rate for India: रूस और यूक्रेन के बीच बेशक युद्ध अब भी जारी है, लेकिन रूस की अर्थव्यवस्था अब इससे उबरने लगी है. यही वजह है कि अब रूस ने अपने कच्चे तेल के दामों में भारी बढ़ोतरी कर दी है. ये वृद्धि भारत के लिए भी है, जिसे एक साल पहले रूस छूट देते हुए बहुत ही सस्ते दामों में तेल बेच रहा था.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस अब भारत को 80 डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से कच्चा तेल दे रहा है. यह रेट पश्चिमी देशों की तरफ से रूसी तेल पर लगाए गए प्राइस कैप से 20 डॉलर ज्यादा है. बता दें कि यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाने के लिए रूसी तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल का प्राइस कैप लगाया था.
छूट में भी हुई भारी कटौती
बताया जा रहा है कि तेल उत्पादन में कटौती से भारत को अब रूस से पहले की तरह छूट नहीं मिल रही है. अब भारत को 4-5 डॉलर प्रति बैरल की ही छूट मिल रही है, जबकि पिछले साल तक यह छूट 30-35 डॉलर प्रति बैरल की थी. ऐसे में छूट खत्म होने के बाद अब रूस से कच्चा तेल लेना महंगा पड़ रहा है. दाम बढ़ने की वजह से खरीदार हतोत्साहित हुए हैं और मांग में कुछ कटौती भी हुई है. Kpler और Refinitiv के बिजनेस फ्लो डेटा के मुताबिक, अगस्त में रूस से भारत का तेल आयात सात महीने के निचले स्तर पर आ गया था.
इस वजह से दाम में हुई है बढ़ोतरी
रूसी तेल में बढ़ोतरी की सबसे बड़ी वजह ये है कि सऊदी अरब और रूस ने तेल उत्पादन में काफी कटौती कर दी है. उत्पादन में कटौती की वजह से सप्लाई कम हो गई है और दाम बढ़ गए हैं. इसके अलावा ओपेक+ देशों के तेल उत्पादन में भी गिरावट आई है. यही नहीं, वैश्विक स्तर पर तेल की कमी के बीच रूस ने डीजल और गैसोलीन के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. इससे कच्चे तेल के दाम और बढ़े हैं.
रूस से महंगा तेल खरीदने के पीछे मजबूरी
रूसी कच्चा तेल भले ही महंगा हो गया हो और इस वजह से कई खरीदार पीछे हट गए हों, लेकिन अब भी यहां बड़ी मात्रा में तेल का आयात किया जा रहा है. तेल मंगाने वाली कंपनियों का कहना है कि उनके पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं. जो विकल्प हैं वे रूस से महंगे हैं. बाकी तेल उत्पादक देशों ने भी अभी दाम महंगे कर दिए हैं.
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