वाशिंगटन: अमेरिकी खुफिया विभाग ने अपनी एक नई रिपोर्ट में रूस के राष्ट्रपति पर गंभीर आरोप लगाए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ में जीत हासिल करने में डोनाल्ड ट्रंप की मदद के लिए और उनकी विपक्षी हिलेरी क्लिंटन को बदनाम करने के लिए एक अभियान चलाने का आदेश दिया था. इसका मूल उद्देश्य अमेरिकी के लोकतंत्र में जनता का विश्वास को कमजोर करना था.


अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तुरंत इसे खारिज करते हुए कहा कि हैकिंग ने आठ नवंबर को हुये राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को प्रभावित नहीं किया है. उन्होंने हस्तक्षेप को लेकर रूस को जिम्मेदार मानने से इनकार किया और कहा कि उन्हें विश्वास है कि चुनाव के परिणाम हैकिंग से प्रभावित नहीं हुए.

ट्रंप का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका के शीर्ष चार खुफिया प्रमुख इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि ट्रंप की विपक्षी हिलेरी क्लिंटन को परेशानी में डालने वाले दस्तावेजों की हैकिंग और उन्हें लीक कर इन चुनावों को प्रभावित करने के पीछे रूस का हाथ है. ट्रंप ने कहा, ‘‘जहां रूस, चीन और अन्य देश और लोग हमारे सरकारी संस्थानों, कारोबारों और डेमोकैट्र नेशनल कमिटी जैसे संगठनों के साइबर ढांचे में सेंध लगाने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं इन चुनावों के परिणाम पर इसका बिल्कुल भी कोई प्रभाव नहीं था.’’

वहीं नेशनल इंटेलिजेंस के निदेशक ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘हमारा आकलन है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने साल 2016 में अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव को प्रभावित करने के लिए एक अभियान चलाने का आदेश दिया.’’ 31 पन्नों की इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि रूस का उद्देश्य अमेरिकी लोकतांत्रिक प्रकिया में जनता के विश्वास को कमजोर करना, राष्ट्रपति पद की डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन को बदनाम करना और उनके चुने जाने और राष्ट्रपति बन जाने की संभावना को नुकसान पहुंचाना था.

यूएस इंटेलिजेंस ने कहा, ‘‘हमारा आगे का आकलन है कि पुतिन ने ट्रंप को मदद पहुंचाई थी. हमें इसपर पूरा विश्वास है.’’ रिपोर्ट को गुरवार को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के सामने रखा गया.