(Source: ECI | ABP NEWS)
'फ्लाइंग चेरनोबिल': रूस बना रहा नई न्यूक्लियर मिसाइल, जानें क्यों कहा जाता है इसे मौत की मशीन और कहां किया इसे तैनात
Russia’s Flying Chernobyl: रूस घातक 9M370 बुरेवेस्टनिक मिसाइल विकसित कर रहा है जो दुनिया के किसी भी हिस्से को पलक झपकते ही कब्रिस्तान बना देगी.
Russia’s Flying Chernobyl: रूस लगातार यूक्रेन के खिलाफ घातक मिसाइलों का इस्तेमाल कर रहा है. इस क्रम में रूस ने यूक्रेन पर मंगलवार (03 सितंबर) को भी सटीक हमला करने वाली दो मिसाइलें दागीं, जिन्होंने भारी नुकसान पहुंचाया. यूक्रेन ने भी रूस के इस हमले की पुष्टि की और इसे एक बेहद घातक हमला बताया.
रूस अब परमाणु ऊर्जा से संचालित होने वाली क्रूज मिसाइल '9M370 बुरेवेस्टनिक' का निर्माण कर रहा है. इस घातक मिसाइल को 'फ्लाइंग चेरनोबिल' भी कहा जा रहा है. ये मिसाइल असीमित रेंज की वजह से चिंता का कारण बनी हुई है क्योंकि ये दुनिया में कहीं भी हमला करने की क्षमता रखती है और इसीलिए इसे मौत की मशीन भी कहा जाता है.
व्लादिमीर पुतिन ने क्या कहा?
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने परमाणु हथियार से लैस इस मिसाइल को 'अजेय' बताया है. इस मिसाइल की मदद से रूस, अमेरिका समेत दुनिया के किसी भी हिस्से को पलक झपकते ही तबाह कर सकता है.
कहां किया गया तैनात?
अमेरिका के दो रिसर्चर्स ने रूस की 9M370 बुरेवेस्टनिक मिसाइल की तैनाती वाली जगहों का पता लगाया है. बताया गया कि रूस ने इसकी तैनाती मॉस्को से करीब 475 किलोमीटर उत्तर में स्थित वोलोग्दा-20 और चेबसारा में की है. खबर है कि इन जगहों पर पहले मिसाइलों में लगने वाले परमाणु बमों को रखा जाता था.
कितनी घातक है 9M370 बुरेवेस्टनिक मिसाइल?
रूस के सबसे विवादित हथियारों में 9M370 बुरेवेस्टनिक मिसाइल शामिल है, जिसे राष्ट्रपति पुतिन ने मार्च 2018 में पहली बार दुनिया को दिखाया. परमाणु हमले के लिए डिजाइन की गई इस मिसाइल में परमाणु ऊर्जा से चलने वाला इंजन लगा हुआ है जो इसकी रेंज को असीमित बना देता है.
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रेटेजिक स्टडीज के मुताबिक इसकी रेंज 20,000 किलोमीटर तक हो सकती है. इस रेंज की मदद से ये रूस से धरती के किसी भी हिस्से पर हमला करने में सक्षम होगी. इस मिसाइल को छोटे ठोस ईंधन वाले रॉकेट से लॉन्च किया जा सकता है.
बताया गया कि ये मिसाइल कई दिनों तक हवा में रह सकती है. लॉन्च के समय मिसाइल की लंबाई 12 मीटर होगी जिसके उड़ान के दौरान घटकर नौ मीटर रह जाने की बात कही जा रही है. 50 से 100 मीटर की ऊंचाई तक उड़ने वाली ये मिसाइल विमान की तरह अपनी दिशा बदल सकेगी जिसकी वजह से एयर डिफेंस सिस्टम को भेद पाना भी आसान हो जाएगा. जमीन से अगर इस मिसाइल को हवा में नष्ट भी किया जाए तो भी ये काफी तबाही मचाएगी.
क्यों कहा जा रहा 'फ्लाइंग चेरनोबिल'?
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 9M370 बुरेवेस्टनिक मिसाइल कई बार अपने टेस्ट में फेल हो चुकी है. 2016 में इसके 13 टेस्ट हुए जिसमें से सिर्फ दो ही आंशिक रूप से सफल हो सके. 2019 में हुआ टेस्ट जब फेल हुआ तो भारी मात्रा में रेडिएशन लीक हुआ जिसमें पांच रूसी परमाणु विशेषज्ञों की मौत हुई. इन मौतों के बाद ही इसे 'उड़ता चेरनोबिल' कहा गया.
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