आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच चल रही जंग में अब रूस की एंट्री हो गई है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 27 सितंबर से दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध को रोकने की पहल की है. पुतिन ने मध्यस्थ करने की कोशिश की है और दोनों देशों को कल बातचीत के लिए बुलाया है.


अलगाववादी क्षेत्र नगोरनो-काराबाख को लेकर आर्मीनिया और अजरबैजान के सुरक्षा बलों ने एक दूसरे पर हमले शुरू करने का आरोप लगाया है. इस क्षेत्र में 27 सितंबर को दोनों देशों के बीच संघर्ष शुरू हुआ था जो अजरबैजान के तहत आता है लेकिन इस पर स्थानीय आर्मीनियाई बलों का नियंत्रण है. यह 1994 में खत्म हुए युद्ध के बाद इस इलाके में सबसे गंभीर संघर्ष है.


क्या है दोनों देशों का दावा
आर्मीनिया के रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता सूसन स्टेपेनियन ने फेसबुक पर लिखा कि 'संघर्ष वाले क्षेत्र में हमले जारी हैं.' उधर, पलटवार करते हुए अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने आर्मीनिया बलों पर टारटर, बर्दा और बेयलागन शहरों में गोलीबारी करने का आरोप लगाया. आर्मीनियाई बलों ने संघर्ष वाले क्षेत्र से काफी दूर स्थित अजरबैजान के दूसरे सबसे बड़े शहर गांजा को भी निशाना बनाया.


वहीं, आर्मीनिया के रक्षा मंत्रालय ने इन दावों को सिरे से खारिज किया है. मंत्रालय की प्रवक्ता सूसन स्टेपेनियन ने फेसबुक पर लिखा कि “आर्मीनिया की तरफ से अजरबैजान की दिशा में कोई गोलाबारी नहीं की गई” और आरोपों को “अजरबैजान की तरफ से हताशा में लगाया गया आक्षेप” करार दिया.


दोनों देशों के सैकड़ों सुरक्षा बलों की मौत
27 सितंबर से शुरू हुए संघर्ष में अबतक दर्जनों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. दोनों ही देशों ने उन शहरों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है जो संघर्ष वाले क्षेत्र से काफी दूर हैं. नगोरनो-काराबाख के अधिकारियों ने कहा कि अब तक इस संघर्ष में उनके पक्ष के करीब 200 कर्मचारी मारे गए हैं. इसके अलावा 18 आम नागरिक मारे गए हैं जबकि 90 से अधिक घायल हैं.


उधर, अजरबैजान के अधिकारियों ने सैनिकों के हताहत होने के संबंध में कोई जानकारी शेयर नहीं की है लेकिन 24 नागरिकों की मौत के साथ ही 121 अन्य के घायल होने की बात कही है. अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलियेव ने दोहराया है कि इस लडाई का अंत तभी हो सकता है, जब नागोरनो-काराबाख से आर्मीनिया पूरी से हट जाए.


इस बीच, आर्मीनिया ने आरोप लगाया कि तुर्की भी इस संघर्ष में अजरबैजान का साथ दे रहा है और सीरिया से अपने लड़ाकों को इस क्षेत्र में भेज रहा है. हालांकि, तुर्की ने हथियार अथवा विदेशी लड़ाकों को भेजे जाने के आरोपों को खारिज किया है.


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