Russia LGBT Movement: रूस (Russia) के न्याय मंत्रालय ने शुक्रवार (17 नवंबर) को कहा कि उसने LGBT आंदोलन को चरमपंथी के रूप में मान्यता देने और इसकी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर किया है. अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा कि अपने अधिकार के दायरे में रूसी न्याय मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय LGBT अधिकार आंदोलन को एक चरमपंथी संगठन के रूप में मान्यता देने की मांग करता है. रूस में इसकी गतिविधि पर बैन लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक प्रशासनिक मुकदमा दायर किया है.
हालांकि, रूस ने ये नहीं बताए कि क्या वह देश में विशिष्ट समूहों को बंद करने की मांग कर रहा है. रूस न्याय मंत्रालय के अनुसार रूस में LGBT आंदोलन की गतिविधियों को संघीय कानून के अनुच्छेद 1 के अनुसार चरमपंथी तत्व मानता हैं, जिसका मतलब सामाजिक और धार्मिक घृणा को बढ़ावा देना. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 30 नवंबर को सुनवाई होगी.
LGBT संगठनों को काम करने से किया जाएगा वंचित
आपको बता दें कि रूस में LGBT अधिकार आंदोलन को अगर चरमपंथी घोषित कर दिया जाता है तो चरमपंथी समूह में शामिल होने का दोषी पाए गए व्यक्तियों को लंबी जेल की सजा का सामना करना पड़ सकता है. रूस के कुछ प्रमुख LGBT कार्यकर्ताओं में से एक ने द मॉस्को टाइम्स को नाम न छापने की शर्त पर कहा कि रूस में LGBT लोग कई सामाजिक चुनौतियों का सामना करने वाला एक अत्यधिक कमजोर समूह हैं. पिछले कुछ सालों में LGBT संगठनों ने बेहद प्रतिकूल माहौल में इन मुद्दों को संबोधित करने का प्रयास किया है.
LGBT कार्यकर्ताओं को राज्य के साथ-साथ होमोफोबिक और ट्रांस्फोबिक समूहों के दबाव का सामना करना पड़ता है. ऐसे लोगों पर कभी-कभी शारीरिक हमला भी किया जाता है. LGBT कार्यकर्ता ने कहा कि LGBT अधिकार आंदोलन पर बैन लगने के बाद LGBT संगठनों को काम करने से वंचित कर दिया जाएगा.
उनके कार्यकर्ताओं और कर्मचारियों पर आपराधिक मुकदमा चलाया जाएगा. इस तरह के आंदोलन को जेल में बंद क्रेमलिन आलोचक एलेक्सी नवालनी जैसे समूहों के बराबर कर देगा, जिनके सदस्य मुकदमे से बचने के लिए विदेश भाग गए हैं.
LGBT+ समुदाय के अस्तित्व पर खतरा
आपको बता दें कि 1993 तक रूस में समलैंगिकता एक अपराध था और 1999 तक इसे एक मानसिक बीमारी माना जाता था. देश में LGBT से जुड़े अधिकार पिछले एक दशक में दबाव में आ चुके हैं क्योंकि अधिकारियों ने इसे रूसी पारंपरिक मूल्यों का विरोधी मानते हैं. पिछले साल राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने किसी भी उम्र के लोगों के लिए गैर-पारंपरिक रिश्तों और जीवनशैली के सार्वजनिक प्रदर्शन को गैरकानूनी घोषित करने के लिए नाबालिगों के प्रति समलैंगिक प्रचार पर 2013 के प्रतिबंध का विस्तार किया था.
रूस में LGBT अधिकार आंदोलन को खत्म करने प्रयास पर LGBTQ अधिकार समूह स्फीयर की प्रमुख दिल्या गफूरोवा ने कहा कि रूसी अधिकारी एक बार फिर भूल रहे हैं कि LGBT+ समुदाय इंसान हैं. गफूरोवा ने कहा कि अधिकारी हमें न केवल सार्वजनिक क्षेत्र से मिटाना चाहते हैं, बल्कि वे हमें एक सामाजिक समूह के रूप में प्रतिबंधित करना चाहते हैं.
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