सनसनीखेज खुलासा- रूस में अरबपतियों और सरकारी अधिकारियों को अप्रैल में ही दे दी गई थी वैक्सीन
रूस में कोरोना वैक्सीन अप्रैल में ही दिग्गजों को दिए जाने की बात सामने आई है.Gamaleya वैक्सीन रूसी सरकार के प्रत्यक्ष निवेश से तैयार की जा रही है.क्रेमलीन प्रवक्ता ने वैक्सीन को राष्ट्रपति को दिए जाने की खबर से इंकार किया है.
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रूस में अभिजात्य वर्ग को अप्रैल के महीने में ही कोरोना वैक्सीन दिए जाने का खुलासा हुआ है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक एल्युमूनियम कंपनी यूनाइटेड Co. Rusal के अधिकारी समेत रूस के अरबपतियों और सरकारी अधिकारियों को अप्रैल के महीने से ही कोरोना वैक्सीन की डोज दी जा रही है.
रूस में कोरोना वैक्सीन दिए जाने का खुलासा
कोरोना वायरस के खिलाफ मास्को की सरकारी कंपनी Gamaleya Institute ने वैक्सीन को तैयार किया है. Gamaleya वैक्सीन को रूसी प्रत्यक्ष निवेश फंड से आर्थिक मदद मिलने की बात सामने आई है. इसके पीछे रक्षा मंत्रालय का समर्थन भी प्राप्त है. Gamaleya वैक्सीन का पिछले हफ्ते सैन्य अधिकारियों पर फेज 1 का ट्रायल पूरा कर लिया गया. वैक्सीन की तैयारी से जुड़े लोगों ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया है कि Gamaleya वैक्सीन रूसी सरकार के प्रत्यक्ष निवेश से तैयार की जा रही है. पहले चरण के नतीजे लोगों के सामने जाहिर नहीं किए गए हैं. मगर वैक्सीन के ट्रायल का दूसरा चरण शुरू कर दिया गया है जिसमें ज्यादा बड़े ग्रुप को शामिल किया गया है. Gamaleya Institute ने शोध के नतीजे को प्रकाशित नहीं किया है. उसके वैक्सीन का ट्रायल 40 लोगों पर किया गया था.
क्रेमलिन प्रवक्ता ने जानकारी होने से किया इंकार
क्रेमलिन प्रवक्ता देमैत्री पेसोकोव को मई के महीने में कोरोना संक्रमण के चलते अस्पताल में भर्ती होना पड़ा पड़ा था. फिलहाल प्रवक्ता कोरोना वायरस को मात देकर अस्पताल से बाहर आ चुके हैं. उन्होंने कहा, "मैं किसी ऐसे शख्स को नहीं जानता जिसे Gamaleya दिया गया हो." उनसे जब सोमवार को पूछा गया कि क्या ये वैक्सीन रूस के राष्ट्रपति को दी गई थी? उन्होंने सवाल के जवाब में बताया, "ये बिल्कुल अक्लमंदी की बात नहीं होगी कि मुल्क के सर्वेसर्वा को ऐसी वैक्सीन दी जाए जिसकी अभी पुष्टि नहीं हुई." उन्होंने अन्य अधिकारियों के बारे में भी अपनी अनभिज्ञता जाहिर की. जिस वैक्सीन का ट्रायल रूस में नामी-गिरामी लोगों पर किया गया है उसे गुप्त रखा गया है. अलबत्ता जिस कार्यक्रम के तहत ये शोध किया गया उसमें सैकड़ों लोगों के शामिल होने की बात सामने आई है. ब्लूमबर्ग ने दर्जनों ऐसे लोगों की पुष्टि की है जिन पर वैक्सीन का ट्रायल किया गया मगर किसी ने भी अपना नाम जाहिर नहीं किया.
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