फिर सामने आया रूसी सेना का क्रूर चेहरा! खेरसॉन में टॉर्चर चैंबर में किया बच्चों-युवाओं के साथ दुर्व्यवहार, मानवाधिकार एक्टिविस्ट का दावा
Russian Army का कथित क्रूर चेहरा एक बार फिर दुनिया के सामने आ गया है. यूक्रेन के मानवाधिकार एक्टिविस्ट ने दावा किया है कि रूसी सैनिकों ने खेरसॉन में 10 टॉर्चर चैंबर बनवाए थे.
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Russia Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी से जंग जारी है. जंग को 9 महीने से ज्यादा का समय हो चुका है. जंग में रूस ने यूक्रेन को बहुत नुकसान पहुंचाया है. यूक्रेन ने भी कई मोर्चों पर रूस को मुंहतोड़ जवाब दिया है. हाल ही में जब यूक्रेन ने अपने खेरसॉन शहर को रूसी कब्जे से वापल लिया तो इसे व्लादिमिर पुतिन की एक बड़ी हार के रूप में देखा गया. खेरसॉन के वापस मिलते ही रूसी सेना का कथित क्रूर चेहरा भी दुनिया के सामने आ गया.
मीडिया रिपोर्ट्स से पता चला है कि यूक्रेन ने खेरसॉन में एक ऐसे सेल का खुलासा किया है, जहां पर रूसी सेना ने बच्चों और युवाओं को हिरासत में रखा था और उनके साथ दुर्व्यवहार किया था. यह जानकारी यूक्रेन के एक वरिष्ठ मानवाधिकार अधिवक्ता ने बुधवार को दी.
'बच्चों और युवाओं को रखा गया हिरासत में'
मानवाधिकारों के लिए यूक्रेनी संसद के आयुक्त दिमित्रो लुबिनेट्स ने कहा कि खेरसॉन में रूसी सेना चार यातना केंद्रों को संचालित कर रही थी और उनमें से एक में बच्चों और युवाओं को हिरासत में रखा गया था. हालांकि, रूस ने युद्ध में नागरिकों को टारगेट करने के सभी आरोपों से इनकार किया है. रूस ने कई बार कहा है कि उसकी सेना ने यूक्रेन में नागरिकों के साथ किसी तरह का दुर्व्यवहार नहीं किया है.
'खेरसॉन में मिले 10 टॉर्चर चैंबर'
सेल में कथित यातना पर रिपोर्ट पेश करते हुए मानवाधिकार अधिवक्ता लुबिनेट्स ने कहा कि कब्जा किए गए अन्य क्षेत्रों की तुलना में इस सेल में स्थिति काफी बदतर थी. उन्होंने एक ब्रीफिंग में पत्रकारों से कहा, "हमें खेरसॉन क्षेत्र में 10 यातना कक्ष मिले. इनमें से चार शहर में थे. यातना कक्षों में से एक में हमें एक अलग कमरा मिला, एक ऐसा सेल जहां बच्चों को रखा गया था, यहां तक कि कब्जा करने वालों ने इसे बच्चों का सेल कहा था."
'बच्चों को रोज पानी तक नहीं दिया गया'
लुबिनेट्स ने कहा, "हमने दस्तावेज दिया है कि बच्चों को रोज पानी तक नहीं दिया जाता था, उन्हें हर दूसरे दिन पानी दिया जाता था. उन्हें व्यावहारिक रूप से भोजन भी नहीं मिलता था." मानवाधिकार एक्टिविस्ट ने कहा, ''रूसी सैनिकों ने मनोवैज्ञानिक दबाव का इस्तेमाल किया. रूसी सैनिकों ने हिरासत में लिए गए बच्चों को बताया कि उनके माता-पिता ने उन्हें छोड़ दिया है और वो वापस नहीं आएंगे."
लुबिनेट्स ने यह भी बताया, "ये वो बच्चे थे, जो आक्रमणकारियों की नजर में विरोध कर रहे थे." उन्होंने आगे बताया कि फरवरी में आक्रमण शुरू होने के बाद से लगभग 12,000 यूक्रेनी बच्चों को रूस ले जाया गया, जिनमें से 8,600 बच्चों को रूसी फोर्स ने उठाया था.
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