Russia Myanmar Su 30 Jet Deal: म्यांमार में राजनीतिक और सैन्य अस्थिरता के बीच रूस के साथ बढ़ते रक्षा सहयोग ने क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को प्रभावित करना शुरू कर दिया है. रूस ने हाल ही में म्यांमार को 6 Su-30 एसएमई लड़ाकू विमान सौंपे हैं. इस कदम ने चीन को परेशान कर दिया है, जो अपने पड़ोसी म्यांमार में लंबे वक्त से दबदबा बनाए हुए है.
रूस से Su-30 विमानों की आपूर्ति
म्यांमार वायुसेना ने रूस से 6 Su-30 एसएमई लड़ाकू विमान खरीदे हैं. यह विमान 2018 में 400 मिलियन डॉलर के समझौते के तहत खरीदे गए थे और इन्हें 15 दिसंबर, 2024 को मांडले के मेइक्तिला एयर बेस पर कमीशन किया गया. इन विमानों को देश की सीमा सुरक्षा और आतंकी खतरों से निपटने में अहम माना जा रहा है.
रूसी उप रक्षा मंत्री ने कहा कि ये विमान म्यांमार की वायुसेना के लिए मुख्य लड़ाकू विमान बनेंगे. उन्होंने यह भी बताया कि इन्हें नेपीडॉ एयर बेस पर तैनात किया गया है, जिससे पूरे देश को सुरक्षा कवरेज दिया जा सके. म्यांमार की वायुसेना पहले से चीन निर्मित जेएफ-17 थंडर विमानों का इस्तेमाल कर रही थी, लेकिन इन विमानों में तकनीकी समस्याएं सामने आई हैं. इसके चलते म्यांमार ने रूस के लड़ाकू विमानों को प्राथमिकता दी.
इस रक्षा सहयोग ने चीन की चिंता बढ़ा दी है. चीनी सोशल मीडिया पर इस बढ़ती रूसी उपस्थिति को लेकर आलोचनात्मक टिप्पणियां देखी गई हैं. यह क्षेत्रीय शक्ति संघर्ष को और बढ़ा सकता है, खासतौर पर जब म्यांमार के विद्रोही समूहों ने भारत सीमा समेत कई इलाकों पर कब्जा कर रखा है.
क्षेत्रीय स्थिरता पर प्रभाव
म्यांमार के विद्रोही समूहों के खिलाफ रूसी विमानों का इस्तेमाल म्यांमार की सरकार को सैन्य बढ़त दिला सकता है. वहीं, चीन अपने पड़ोसी में रूस की बढ़ती उपस्थिति से असहज है, क्योंकि यह उसके रणनीतिक प्रभाव क्षेत्र को कमजोर कर सकता है.
म्यांमार का यह कदम न केवल सैन्य दृष्टि से बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी अहम है. क्षेत्रीय स्थिरता और शक्ति संतुलन पर इसके प्रभाव को लेकर भविष्य में गहरी नजर रखना आवश्यक होगा.
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