मास्को: रूसी सुरक्षा परिषद (Russian Security Council) के उप प्रमुख दिमित्री मेदवेदेव (Dmitry Medvedev) ने शनिवार को कहा कि अमेरिका (US) और उसके सहयोगी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए ‘‘अद्भुत’’ प्रतिबंधों से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि यूक्रेन (Ukraine) के डोनबास (Donbass) क्षेत्र की ‘‘रक्षा’’ के लिए सैन्य अभियान तब तक चलाया जाएगा जब तक कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के लक्ष्य हासिल नहीं हो जाते.
अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने गुरुवार को को यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस के खिलाफ कई प्रतिबंधों की घोषणा की थी. पश्चिमी देशों ने चार बड़े रूसी बैंकों की संपत्ति पर रोक लगाने, निर्यात नियंत्रण लागू करने और पुतिन के करीबी अधिकारियों, कारोबारियों पर पाबंदी लगाने का फैसला किया.
‘2008 जैसी ही स्थिति बनेगी’
समाचार एजेंसी ‘तास’ के मुताबिक रूस के पूर्व प्रधानमंत्री मेदवेदेव ने कहा, ‘‘ये अद्भुत प्रतिबंध निश्चित रूप से एक भी चीज नहीं बदलेंगे. यह अमेरिकी विदेश विभाग के अज्ञानी लोग भी जानते हैं. यह डोनबास की रक्षा के लिए सैन्य अभियान चलाने के निर्णय को दिखाता है.’’ मेदवेदेव ने कहा, ‘‘अभियान तब तक चलता रहेगा जब तक कि रूसी राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाते.’’ उन्होंने उम्मीद जताई कि 2008 की तरह ही स्थिति बनेगी.
रूस ने 2008 में जॉर्जिया पर आक्रमण किया और युद्ध पांच दिनों तक चला. संक्षिप्त युद्ध के बाद रूस ने जॉर्जिया के अबकाजिया और दक्षिण ओसेशिया को अलग क्षेत्र के तौर पर मान्यता दी.
‘प्रतिबंध केवल एक मिथक’
मेदवेदेव 2012 से 2020 तक रूस के प्रधानमंत्री रहे. उन्होंने प्रतिबंधों को ‘‘मिथक’’ करार दिया. ‘तास’ के मुताबिक मेदवेदेव ने कहा, ‘‘सभी जिम्मेदार लोगों को पता है कि प्रतिबंध केवल एक मिथक, एक दिखावा और भाषणबाजी है.’’ उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों की असली वजह ‘‘रूस की नीतियों को बदलने में असमर्थता और अफगानिस्तान से कायरतापूर्ण पलायन जैसे शर्मनाक फैसलों के बहाने राजनीतिक अक्षमता पर पर्दा डालना है.’’
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन के दो क्षेत्रों की ‘‘स्वतंत्रता’’ को मान्यता देते हुए अलगाववादियों के कब्जे वाले डोनबास क्षेत्र में दोनेत्स्क पीपुल्स रिपब्लिक (डीपीआर) और लुहांस्क पीपुल्स रिपब्लिक (एलपीआर) के नेताओं के साथ संधियों पर हस्ताक्षर किए. रूसी सेना ने तब से यूक्रेन की राजधानी कीव और अन्य क्षेत्रों में सैन्य बुनियादी ढांचे और अन्य प्रमुख प्रतिष्ठानों को लक्ष्य करके अपने हमले तेज कर दिए हैं.
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