रूस घूमने गए 7 भारतीय युवकों का एक वीडियो सामने आया है. वीडियो में युवकों ने बताया कि वह नए साल पर घूमने के लिए रूस आए थे, लेकिन उन्हें धोखे से रूसी सेना में भर्ती करके युद्ध लड़ने के लिए यूक्रेन भेज दिया गया. उनका यह भी कहना है कि उनके साथ और भी लोग आए थे, जिन्हें युद्ध के मैदान में फ्रंट लाइन पर डाल दिया और 2-3 दिन में इनको भी भेजा जाएगा. युवकों ने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
वीडियो में नजर आ रहे सात युवक पंजाब और हरियाणा के हैं. उन्होंने विदेश मंत्रालय से मदद की गुहार लगाते हुए कहा कि वह फ्रंट लाइन पर जाने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं क्योंकि उन्हें बंदूक भी पकड़नी नहीं आती है. वीडियो में नजर आ रहे युवकों ने हरे रंग के मिलिट्री जैकेट पहनी है और सिर पर कैप लगाई है. वीडियो में वह एक कमरे में खड़े दिख रहे हैं और पीछे एक खिड़की भी दिख रही है.
एजेंट ने बेलारूस ले जाकर छोड़ा
1 मिनट 45 सेकेंड का यह वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर तेजी से शेयर किया जा रहा है. इसमें युवक कहता दिख रहा है, 'हम सब साथी नए साल पर रूस घूमने के लिए आए थे और हमें यहां एजेंट मिला, जिसने हमें यहां पर घुमाया-फिराया. बाद में उसने हमसे कहा कि आप सबको बेलारूस लेकर चलता हूं. हमें नहीं पता था कि बेलारूस के लिए वीजा की जरूरत होती है. वो हमें ऐसे ही लेकर चला गया और वहां जाकर पैसों की डिमांड करने लगा. पहले घूमाने के लिए हम उसको पैसे दे चुके थे. हमारे पास और पैसे नहीं थे.'
उन्होंने आगे बताया कि एजेंट उन्हें बेलारूस में ही हाइवे पर छोड़कर चला गया और पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और रूसी आर्मी को दे दिया. रूसी आर्मी ने इन लोगों को 4-5 दिन के लिए कहीं पर रखा और फिर हिंदी बोलने वाले एक शख्स से फोन पर बात करवाई और शर्त रखी कि या तो 10 साल की जेल होगी या हमारे साथ एक कॉन्ट्रेक्ट साइन करो, जिसमें आपको हेल्पर या ड्राइवर की जॉब मिलेगी.
धोखे से रूसी सैनिकों ने भारतीयो से साइन करवाया कॉन्ट्रैक्ट?
युवक ने बताया कि ये कॉन्ट्रेक्ट रूसी भाषा में था इसलिए इन्हें पता नहीं चला कि उसमें क्या-क्या लिखा है. युवकों ने कॉन्ट्रेक्ट साइन कर लिया. इसके बाद इन्हें ट्रेनिंग सेंटर ले जाया, जहां इन्हें ट्रेनिंग दी गई. तब युवकों को समझ आया कि इनके साथ धोखा हुआ है. युवक ने बताया, 'ट्रेनिंग देने के बाद हमें यूक्रेन छोड़ दिया गया. हमारे साथ और भी लोग आए थे उन्हें फ्रंट लाइन पर डाल दिया और हम 7 सालों को भी कह रहे हैं कि फ्रंट लाइन पर डाल देंगे, 2-3 दिन में. हम युद्ध के लिए तैयार नहीं हैं, हमें बंदूक भी पकड़नी नहीं आती है. हमारी इंडियन एंबेसी और भारत सरकार से आशा है कि हम सबको यहां से निकाल लें.'
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, इन युवकों के परिवार वालों ने बताया कि युवक रूस नौकरी ढूंढने के लिए गए थे, लेकिन उनके पासपोर्ट छीन लिए गए और रूसी सैनिकों ने उन्हें धमकी दी कि उन्हें 10 साल की जेल होगी. उन्होंने बताया कि उन्हें जबरदस्ती सेना में शामिल कर यूक्रेन भेज दिया गया. परिवार वालों का कहना है कि उनकी युवकों से बात हुई है और उन्हें यह जानकारी दी. पिछले हफ्ते विदेश मंत्रालय ने बताया कि उन्हें ऐसे मामलों का पता चला, जिनमें जम्मू-कश्मीर के आजाद यूसुफ कुमार भी हैं. उन्हें युद्ध के दौरान पैर में गोली लग गई थी. वहीं, कर्नाटक, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के 10 और युवकों के साथ भी इसी तरह की घटना हुई है और उन्हें रूस में सिक्योरिटी और लेबर की नौकरी का झांसा देकर फंसाया गया और रूस-यूक्रेन युद्ध में भेज दिया गया.
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