नई दिल्ली: कोरोना महामारी के खिलाफ जारी लड़ाई में वैक्सीन के मोर्च पर सकारात्मक खबर सामने आई है. रूस की स्पूतनिक-5 वैक्सीन ने तीसरे फेस के क्लीनिकल ट्रायल में बेहतर परिणाम दिखाए हैं. लांसेट पत्रिका की स्टडी में ये पाया गया है कि स्पूतनिक-5 कोरोना के सिम्प्टोमैटिक मामलों में 91.60 फीसदी तक प्रभावी है. तीसरे फेज के क्लीनिकल ट्रायल में इस वैक्सीन ने मजबूत प्रतिरक्षा और सुरक्षा परिणाम दिए.


इस वैक्सीन का नाम स्पूतनिक-5 सोवियत युग के एक सैटेलाइट के नाम पर रखा गया है. रूस में इस वैक्सीन की इजाजत तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के नतीजे आने से पहले ही दे दी गई थी. ऐसे में रूस के इस कदम की आलोचना भी हुई थी.


लेकिन अब एक नया डेटा सामने आया है. इसके मुताबिक बीस हजार लोगों पर तीसरे फेज का क्लीनिकल ट्रायल हुआ जिसमें इस वैक्सीन के दो डोज 90 फीसदी असरदार पाया गया. लांसेट के मुताबिक, इस वैक्सीन की आलोचना जल्दबाजी में की गई लेकिन अब जो रिजल्ट सामने आए हैं वे बताते हैं कि ये वैज्ञानिक सिद्धांतों पर खरा उतरता है और कोरोना वायसर की लड़ाई में शामिल हो सकता है.


ये नतीजे दिखाते हैं कि स्पूतनिक-5 उन टॉप वैक्सीन में शामिल है जो 90 फीसदी तक प्रभावी है जिसमें फाइजर, बायोटेक और मॉडर्ना का नाम है. फेज थ्री के नतीजे आने से पहले ही रूस में 18 और 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए सामूहिक टीकाकरण लॉन्च कर दिया गया था. बता दें कि भारत में दवा कंपनी डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज 'स्पूतनिक वी' के तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल कर रही है.


लांसेट की रिपोर्ट के लेखक ने कहा कि हालांकि, स्पूतनिक-5 वैक्सीन का ये प्रभाव सिर्फ सिम्प्टोमैटिक के में सामने आया है. एसिम्प्टोमैटिक मामले में ये वैक्सीन किस तरह से काम करेगा इसको लेकर अभी और स्टडी किए जाने की जरूरत है. इसके साथ ही कहा गया है कि इसके फॉलोअप की अवधि वैक्सीन के पहले डोज के करीब 48 दिनों की थी.इसलिए सुरक्षा की पूर्ण अवधि अभी भी अज्ञात है. ट्रायल जारी है और कुल 40 हजार लोगों को शामिल करने की योजना है.


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