रूस ने किया धरती की सबसे तेज उड़ने वाली मिसाइल का परीक्षण, इसे ट्रैक करना नहीं होगा आसान
मॉस्को इस वक्त लगातार अपने एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम समेत आधुनिक हथियारों का परीक्षण कर रहा है. जिरकॉन मिसाइल आवाज की गति से करीब 8 गुणा ज्यादा तेज रफ्तार से दुश्मन के टारगेट पर हमला करती है. यह मिसाइल मैक-8 की गति से उड़ती है यानी 9 हजार 878 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से.
रूस हथियारों के मामले में दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले काफी आगे है. हाल में रूस ने सफेद सागर में मौजूद अपने नॉर्दन फ्लीट एडमिरल गोर्श्कोव फ्रिगेट में धरती की सबसे तेज उड़ने वाली मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. इस मिसाइल ने करीब साढे चार सौ किलोमीटर दूर लक्ष्य पर सफतापूर्वक निशाना साधा. इस परीक्षण का मकसद कहीं ना कहीं अमेरिका को मास्को की तरफ से अपना सामरिक ताकत दिखाकर उसे डराना था.
मॉस्को इस वक्त लगातार अपने एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम समेत आधुनिक हथियारों का परीक्षण कर रहा है. जिरकॉन मिसाइल आवाज की गति से करीब 8 गुणा ज्यादा तेज रफ्तार से दुश्मन के टारगेट पर हमला करती है. यह मिसाइल मैक-8 की गति से उड़ती है यानी 9 हजार 878 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से. इस मिसाइल को अगर मॉस्को से छोड़ा जाए तो लगभग एक घंटा बाद ही लॉस एजिंल्स में जाकर हमला कर देगी.
इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत ये है कि दुश्मन की पकड़ में इसलिए नहीं आ पाता क्योंकि इसके पीछे दो वजहें हैं. पहली इसकी तेज रफ्तार और दूसरा यह किसी तय रास्ते यानी ट्रैजेक्टरी के हिसाब से नहीं उड़ती. जिरकॉन मिसाइल अपने रास्ते से इधर-उधर होते हुए दुश्मन की तरफ बढ़ती है. इसलिए उसके रास्ते का पता नहीं चलता. गति इतनी तेज होती है कि टारगेट को भी पता नहीं चलता.
इसी मिसाइल की तर्ज पर भारत की ब्रह्मोस-2के मिसाइल भी बनाई जा रही है. जिरकॉन मिसाइल को व्लादिमीर पुतिन की पसंद का हथियार माना जाता है. बैरेंट्स सागर में अपने टारगेट तक इस मिसाइल को पहुंचने में मात्र 4 मिनट लगे थे. इसके पहले अक्टूबर महीने में पुतिन के जन्मदिन पर रूस ने जिरकॉन मिसाइल का परीक्षण किया था. इसके पहले जनवरी में इस मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था.
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