पूर्वी यूक्रेन में रूस की ओर से दो अलग देशों डोनेत्स्क (Donetsk) और लुगंस्क (Lugansk) को मान्यता देने के बाद तनाव बिल्कुल चरम पर है. ऐसे में पूरी आशंका जताई जा रही है कि रूस और यूक्रेन (Russia Ukraine Conflict) के बीच कभी भी जंग छिड़ सकती है. हालांकि रूस लगातार कहता रहा है कि यूक्रेन पर हमले की उसकी कोई प्लानिंग नहीं है लेकिन हाल की गतिविधियों से ऐसा नहीं लग रहा है. व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) की ओर से दो अलग देशों की मान्यता दिए जाने के बाद अमेरिका (America) समेत कई देश भड़के हुए हैं. अमेरिका, ब्रिटेन, जापान समेत कई देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है. कई देश अमेरिका और यूक्रेन के समर्थन में खड़े हैं तो वही कुछ देश रूस (Russia) के साथ भी नजर आ रहे हैं.


यूक्रेन संकट के बीच किस देश का किसको समर्थन


गहराते यूक्रेन संकट (Ukraine Crisis) के बीच इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि कौन सा देश किसके साथ समर्थन में खड़ा है. भारत की बात करें तो अभी तक इसका रूख निष्पक्ष ही रहा है. हालांकि भारत के अमेरिका और रूस दोनों से काफी अच्छे संबंध हैं. ऐसे में किसी एक को समर्थन करने की बात पर भारत राजी नहीं हो सकता है. रक्षा सौदों से लेकर कई उपकरणों को लेकर भारत बहुत हद तक रूस पर भी निर्भर है. रणनीतिक साझेदारी के मामले में भी भारत और रूस के संबंध मजबूत हैं. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में यूक्रेन के मसले पर हुई मंगलवार को इमरजेंसी बैठक में भी भारत ने संतुलित रूख अपनाया था और इस मुद्दे को लेकर सभी पक्ष से शांति और संयम बरतने की अपील की थी. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए कूटनीतिक स्तर पर ही इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है.


अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस ने रूस पर लगाए हैं प्रतिबंध 


अमेरिका यूक्रेन को हर संभव मदद का पहले ही भरोसा दे चुका है. सैन्य कर्मियों और हथियारों से उसकी मदद के लिए पूरी तरह से तैयार है. यूरोपीय यूनियन का भी मानना है कि यूक्रेन संकट पूरे यूरोप के खिलाफ खतरा है. रूस पर कई प्रतिबंध लगाने के बाद ऐसी संभावना है कि यूरोपीय यूनियन रूस को ग्लोबल बैंकिंग सिस्टम से अलग कर सकता है. वही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने रूस के कदम की कड़ी आलोचना करते हुए प्रतिबंध लगाने की बात कही है. प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि रूस ने यूक्रेन की संप्रभुता और अखंडता का उल्लंघन किया है. वही फ्रांस ने भी रूस के कदम की आलोचना करते हुए कड़े प्रतिबंध लगाने के संकेत दिए हैं. जर्मनी ने रूस की नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन परियोजना पर रोक लगा दी है. 


चीन और रूस की बढ़ी है दोस्ती


उधर चीन और रूस की दोस्ती हाल के दिनों में कुछ बढ़ी है. पाकिस्तान का भी झुकाव रूस की तरफ ज्यादा दिख रहा है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान व्लादिमीर पुतिन से मिलने के लिए मॉस्को पहुंच रहे हैं. उधर बेलारूस पूरी तरह से रूस के साथ दिख रहा है. यूक्रेन संकट के बीच बेलारूस और रूस साथ मिलकर युद्धाभ्यास भी कर रहे हैं. गौरतलब है कि रूस नाटो की विस्तार योजना का विरोध कर रहा है. रूस नहीं चाहता है कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बने जबकि अमेरिका समेत कई देश ये चाहते हैं कि यूक्रेन भी नाटो का मेंबर हो.


ये भी पढ़ें:


कंगाल पाकिस्तान को अब रूस से मिलेगी मदद? यूक्रेन संकट के बीच पुतिन से मिलने मॉस्को जा रहे प्रधानमंत्री इमरान खान


अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का ऐलान, 'रूस के खिलाफ यूक्रेन को देंगे सैन्य मदद', प्रतिबंध भी लगाए