रूस और यूक्रेन के बीच जंग शुरू हो गई है. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) की ओर से सैन्य कार्रवाई के आदेश के बाद यूक्रेन पर हमला किया जा रहा है. हालांकि रूस और यूक्रेन के बीच तनाव का मामला कोई नया नहीं है. दरअसल यूक्रेन (Ukraine) यूरोपीय संघ (EU) के काफी निकट है लेकिन ये नजदीकी रूस को पसंद नहीं है. साल 1991 में यूक्रेन ने सोवियत संघ से स्वतंत्रता की घोषणा की थी. जिसके बाद यूरोपीय संघ से यूक्रेन की नजदीकियां बढ़ी. यूक्रेन अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य संगठन नाटो (NATO) का सदस्य बनना चाहता है लेकिन रूस (Russia) ये नहीं चाहता है कि यूक्रेन नाटो की विस्तार योजना का हिस्सा बने.
यूक्रेन का नाटो सदस्य बनने के खिलाफ है रूस
रूस अमेरिका और नाटो (NATO) से इस बात की गारंटी भी चाहता था कि यूक्रेन को नाटो का सदस्य न बनाया जाए लेकिन अमेरिका और पश्चिमी देश इस बात के लिए राजी नहीं हैं. रूस ये नहीं चाहता था कि उसकी सीमा के पास तक नाटो सैनिकों की पहुंच हो. यूक्रेन पर हमला करने से पहले रूस पिछले कई दिनों से सीमा के पास भारी संख्या में अपने सैनिकों को जमावड़ा लगाया हुआ था. रूस का कहना है कि यूक्रेन की वजह से अमेरिका (America) और नाटो के मेंबर वाले देश उसकी सीमा के नजदीक पैठ बनाना चाहते हैं.
साल 2014 में रूस ने क्रीमिया पर नियंत्रण स्थापित कर लिया था. इसके कुछ ही वक्त के बाद यूक्रेन के डोनत्स्क और लुहांस्क में रूस समर्थक अलगाववादियों ने इन क्षेत्रों को स्वायत्त घोषित कर दिया. फ्रांस और जर्मनी ने इन क्षेत्रों को स्वायत्त घोषित करने के लिए यूक्रेन और रूस में समझौता भी हुआ लेकिन टकराव बना रहा.
रूस और अमेरिका के बीच मतभेद
यूक्रेन के डोनत्स्क और लुहांस्क को व्लादिमीर पुतिन की ओर से अलग देश की मान्यता देने के बाद वैश्विक स्तर पर तनाव गहरा गया. सोवियत संघ के टूटने के बाद रूस और अमेरिका के बीच रिश्तों में मतभेद बने रहे हैं. लेकिन यूरोप से सटे कुछ आजाद राष्ट्र अमेरिका और कई पश्चिमी देशों के संपर्क में आए और नजदीकियां बढ़ी लेकिन ये रूस को कभी नहीं भाया. यूक्रेन संकट को अमेरिका और रूस के बीच एक तरह से वर्चस्व की लड़ाई के तौर भी देखा जा रहा है.
साल 2019 में वोलोदिमीर जेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) के यूक्रेन के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद नाटो में शामिल होने की कोशिशें तेज कर दी गई. यूक्रेन की सीमा के पास हजारों की संख्या में रूसी सैनिकों के जमावड़े से अमेरिका और नाटो ने कई बार चेतावनी देते हुए नाराजगी जताई. अमेरिका समेत कई देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध भी लगाए हैं. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 से अब तक कई टकराव में 3,000 से ज्यादा नागरिकों की जान जा चुकी है.
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