Russia Ukraine War: यूक्रेन पर पिछले पांच दिनों से रूस का हमला जारी है. जिसका खामियाजा यूक्रेन के आम नागरिकों को सबसे ज्यादा भुगतना पड़ रहा है. रूस के इस हमले में अब तक सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और बाकी अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे हैं या फिर बंकरों में छिपे हैं. इसी बीच यूक्रेन और रूस के डेलीगेशन के बीच पहली बैठक खत्म हो चुकी है. इस बैठक के बाद अब उम्मीद है कि हालात सुधरेंगे और रूस अपनी सैन्य कार्रवाई को रोकने का ऐलान करेगा. 


पांच दिन के बाद बैठक का दौर शुरू
पिछले कुछ हफ्तों से रूस और यूक्रेन के बीच तनाव काफी बढ़ गया था. जिसके बाद रूस ने अपनी सेना को यूक्रेन की सीमाओं पर तैनात कर दिया. लेकिन तब तक किसी ने भी ये नहीं सोचा था कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सैन्य कार्रवाई का आदेश जारी कर देंगे. पहले जहां सेना को पीछे हटाने की बात कही गई, वहीं अगली ही सुबह सैन्य कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए गए. इसके बाद यूक्रेन की सेना और यहां के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने डटकर मुकाबला करने की बात कही. वहीं रूस की तरफ से मिसाइलें दागी गईं. 


रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद कई देशों ने इसका विरोध किया, नाटो ने भी रूस को चेतावनी दी, लेकिन सीधे तौर पर यूक्रेन की मदद किसी ने नहीं की. इसके बाद यूक्रेन और रूस की सेना लगातार जंग लड़ती रही और पांच दिन बीत गए. आखिरकार बेलारूस में दोनों देशों के बीच शांति वार्ता की तैयारी हुई. हालांकि यूक्रेन के राष्ट्रपति ने बेलारूस पर आरोप लगाते हुए कहा कि, रूस ने उसकी जमीन का इस्तेमाल हमले के लिए किया, इसीलिए वहां बैठक नहीं करना चाहते हैं. इसके बाद बेलारूस-यूक्रेन की सीमा के पास बैठक हुई. 


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यूक्रेन ने की सेना को हटाने की मांग
करीब साढ़े तीन घंटे तक चली इस बैठक में रूस और यूक्रेन के अधिकारियों ने हिस्सा लिया. यूक्रेन की तरफ से शामिल हुए डेलीगेशन ने कहा कि, रूस को तुरंत सीजफायर का ऐलान करना चाहिए. राष्ट्रपति जेलेंस्की की तरफ से पेश हुए डेलीगेशन ने रूसी डेलीगेशन को कहा कि, वो तुरंत सभी सैन्य बलों को यूक्रेन छोड़ने को कहें. जिसमें क्रीमिया और डोनबास भी शामिल हैं. वहीं बेलारूस की तरफ से इस बैठक के बाद कहा गया कि, राष्ट्रपति लुकाशेंको सिंसरेली को उम्मीद है कि आज हुई बातचीत से इस नाजुक मामले को लेकर कोई हल निकल पाएगा. बेलारूस के सभी लोग इसके लिए प्रार्थना कर रहे हैं. हालांकि बैठक में रूस का क्या रुख रहा, ये अब तक साफ नहीं हो पाया है. लेकिन सभी उम्मीद जता रहे हैं कि इस बैठक का असर यूक्रेन में चल रही जंग पर जरूर दिखेगा. 


इकॉनमी को लेकर रूस पर दबाव?
इस बैठक से ठीक पहले रूस से ऐसी खबरें सामने आई थीं कि तमाम बड़े देशों के लगाए प्रतिबंधों का असर अब तेजी से देश में दिखने लगा है. यूक्रेन पर हमले का रूस की इकॉनमी पर असर पड़ रहा है. जिस पर खुद राष्ट्रपति पुतिन भी अब ध्यान देने लगे हैं. बताया गया कि पुतिन ने इकॉनमी को लेकर तमाम बड़े अधिकारियों के साथ एक बैठक की. साथ ही रूस प्रशासन की तरफ से बताया कि जल्द ही लगाए गए प्रतिबंधों से बाहर निकलने का रास्ता खोजा जाएगा. रूस पर अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और कई यूरोपीय देश प्रतिबंध लगा चुके हैं. जिनसे निपटना रूस के लिए एक बड़ी चुनौती होगी. क्योंकि इसका सीधा असर रूस की इकॉनमी पर पड़ रहा है. ऐसे में रूस भी अब इस लड़ाई को ज्यादा लंबा नहीं खींचना चाहेगा. बताया जा रहा है कि अब बातचीत का दौर लगातार जारी रहने वाला है. रूस-यूक्रेन के बीच अब अगली बैठक भी जल्द हो सकती है. जिसमें कोई बड़ा समझौता हो सकता है.  


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