Russia Ukraine Conflict: यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से लाखों लोग देश छोड़कर बाहर निकल चुके हैं. ये लोग पड़ोसी देशों और यूरोप के अन्य देशों में शरण ले रहे हैं. ये देश इन्हें शरण देने में उदारता भी दिखा रहे हैं, लेकिन यूक्रेन के शरणार्थियों को शरण देने में अमेरिका का रुख सख्त दिख रहा है. संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, 24 फरवरी को रूस के आक्रमण के बाद से 30 लाख से अधिक लोग यूक्रेन से पड़ोसी देशों में शरण ले चुके हैं, लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका ने अब तक सैकड़ों लोगों को ही अपने देश में शरण दी है. अमेरिका की इस नीति पर कई आलोचक सवाल उठा रहे हैं.
क्यों है अमेरिका का ऐसा रुख
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और उनके शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि संयुक्त राज्य अमेरिका जरूरत पड़ने पर शरणार्थियों को स्वीकार करने के लिए तैयार है, लेकिन प्रशासन ने बार-बार संकेत दिया है कि यूक्रेन से बाहर निकल रहे लोगों के लिए यूरोप प्राथमिकता में होना चाहिए. अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने भी इसी तरह की टिप्पणी की है. साकी ने 10 मार्च को कहा था कि अमेरिकी प्रशासन का मानना है कि शरणार्थियों का "विशाल बहुमत" पड़ोसी देशों में रहना चाहेगा, जहां कई के परिवार, दोस्त पहले से होंगे. अमेरिकी विदेश विभाग के आंकड़ों के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका ने जनवरी और फरवरी में रूस के युद्ध के दौरान केवल 514 यूक्रेनी शरणार्थियों को स्वीकार किया है.
पोलैंड ने सबसे ज्यादा को दी शरण
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक, अभी तक यूक्रेन के सबसे ज्यादा शरणार्थियों को पोलैंड में जगह मिली है. यहां करीब 13.30 लाख लोग शरण ले चुके हैं. इसके अलावा रोमानिया में करीब 4.59 लाख, मोलदोवा में 3.37 लाख, हंगरी में 2.67 लाख और स्लोवाकिया में 2.13 लाख यूक्रेनी शरणार्थी जा चुके हैं. कुछ लोग रूस और बेलारूस भी गए हैं. रूस में करीब डेढ़ लाख तो बेलारूस में करीब 1500 यूक्रेनी शरण ले चुके हैं.
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