Russia-Ukraine War: रूस (Russia) और यूक्रेन (Ukriane) के बीच लड़ाई शुरू हुए एक साल होने को आ रहे हैं. पिछले साल 24 फरवरी 2022 को रूस और यूक्रेन के बीच जंग शुरू हुई थी. इस एक साल के दौरान वॉर में दोनों देशों को बहुत नुकसान झेलने पड़े हैं. इस दौरान यूक्रेन के प्रमुख शहरों में रूसी सेना के तरफ से जानलेवा हमले किए गए. इसमें बर्डियांस्क, चेर्निहाइव, खार्किव, ओडेसा, सुमी और राजधानी कीव शामिल हैं. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) के ऑफिस की तरफ से जारी एक आंकड़े के अनुसार पिछले एक साल के दौरान यूक्रेन में 71 हज़ार से अधिक नागरिकों की मौतों की पुष्टि की गई है.
वहीं रूस और यूक्रेन के युद्ध के बीच दोनों देशों की तरफ से मारे गए और घायल हुए सैनिकों की तादाद भी लाखों के आंकड़े छू रही है. नॉर्वे की मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नॉर्वे के डिफेंस चीफ एरिक क्रिस्टोफरसन ने बताया कि रूस के करीब 1 लाख 80 हजार सैनिक मारे गए और घायल हैं. दूसरी तरफ यूक्रेन के करीब 1 लाख सैनिक मारे गए हैं और घायल भी हैं. अमेरिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 12 महीनों में रूस के लगभग 2 लाख सैनिक मारे जा चुके हैं, जो अमेरिका के 20 साल के इतिहास में अफगानिस्तान में मारे गए सैनिकों का 8 गुना है.
सबसे ज्यादा यूएस ने पहुंचाई मदद
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के दौरान दोनों देशों के सहयोगियों ने डायरेक्ट और इनडायरेक्ट तरीकों से मदद की है. अगर अकेले यूक्रेन की बात करें तो उसे अब तक सबसे ज्यादा मदद मिल चुकी है. दरअसल यूक्रेन को ज्यादा मदद मिलने की वजह ये है कि वो रूस के मामले में बहुत कमजोर है. रूस पहले से एक सुपर पावर कहा जाता है. यूक्रेन को लगभग दुनिया के हर देश ने डायरेक्ट और इनडायरेक्ट तरीकों से मदद की है, जिसमें US और ब्रिटेन ने खुले तौर पर यूक्रेन को सहायता पहुंचाई है. दरअसल US पहले से ही रूस को अपना दुश्मन मानता है, इसलिए उसका खुले तौर पर यूक्रेन को मदद पहुंचाना स्वाभाविक है.
नाटो देशों की लिस्ट में शामिल देशों ने मिलिट्री सेवाएं यूक्रेन को मुहैया कराई हैं. हाल ही में नाटो ने यूक्रेन को लियोपार्ड टैंक देने की घोषणा की है. यूरोपीय संघ और उसके देशों ने यूक्रेन को सबसे अधिक सहायता पहुंचाई है, जबकि अमेरिका ने अब तक सबसे अधिक सैन्य सहायता प्रदान की है. मानवीय और सैन्य सहायता मिलाकर 46 देशों से €108.8 बिलियन यूरो (करीब 95 हजार करोड़) मिला है. उस €108.8 बिलियन यूरो में से €51.8 बिलियन यूरो (करीब 45 हजार करोड़) यूरोपीय संघ से आया और €47.8 बिलियन यूरो (करीब 40 हजार करोड़) अमेरिका ने दिए हैं.
हथियारों की सप्लाई
यूक्रेन और रूस के युद्ध के बीच यूक्रेन को हर तरह के हथियारों की सप्लाई मिलती रही है. इस दौरान उसे टैंक, मिसाइल, एंटी टैंक मिसाइल, मॉर्टर, हेलिकॉप्टर एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल, ग्रेनेड लॉन्चर जैसे खतरनाक हथियार शामिल हैं. अमेरिका ने अकेले यूक्रेन को आधे से ज्यादा हथियार मुहैया कराए हैं. यूएस लगातार अंतराल पर यूक्रेन को हथियारों का जखीरा पहुंचाता रहा है. युद्ध शुरू होने से पहले भी यूएस यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई करता रहा है. युद्ध शुरू होने के हथियारों के कीमतों की बात करें तो, 25 फरवरी 2022 को अमेरिका ने $350 मिलियन के सैन्य उपकरण भेजे, जबकि मार्च 2022 में 200 मिलियन डॉलर. यूएस ने हिमार्स मिसाइल के गोले बारूद भी भेजे हैं.
हाल ही में 19 जनवरी 2023 को अमेरिका ने यूक्रेन के लिए 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के नए सहायता पैकेज की घोषणा की है. इसके बाद ब्रिटेन ने भी अपनी तरफ से हथियारों की सप्लाई देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सनक ने 15 जनवरी 2023 को घोषणा की कि ब्रिटेन यूक्रेन को चैलेंजर 2 टैंक और AS90 155mm स्वचालित होवित्जर भेजेगा. हाल ही में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने ब्रिटेन का दौरा भी किया था.
चीन और भारत का नजरिया
भारत की अगर बात की जाए तो वो खुल कर युद्ध में किसी के साथ खड़ा होते तो नहीं दिखा लेकिन इस दौरान जहां दुनिया के सारे देशों ने रूस से बिजनेस करना छोड़ दिया. सारी विदेशी कंपनियों ने रूस से अपने बिजनेस को समेट लिया, जिसकी वजह से पुतिन के देश को फाइनेंसियल नुकसान का सामना करना पड़ा. उस वक्त भारत ने रूस से अपनी सदियों पुरानी दोस्ती को पेश करते हुए रूस से लगातार कच्चे तेल खरीदता रहा.
इसको लेकर यूएस ने भी भारत पर कई तरह के सवाल उठाए, जिसका विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बहुत ही डिप्लोमेटिक तरीके से जवाब दिया. हालांकि, भारत तेल के खपत के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है. वहीं चीन ने पूर्व में समय-समय पर रूस का साथ दिया है, लेकिन युद्ध शुरू होने के बाद से चीन ने भी कहीं न कहीं चुप्पी साध रखी है. कई विशेषज्ञों का मानना है कि चीन यूक्रेन और रूस के युद्ध के बीच बहुत ही ज्यादा बच कर चलना चाह रहा है.
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