Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध को शुरू हुए 302 दिन हो चुके हैं. इन सबके बीच यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध में अब तक एक लाख से ज्यादा रूसी सैनिकों की मौत हो चुकी है. इतना ही नहीं, ये भी कहा गया कि ये आंकड़ा हर दिन तेजी से बढ़ता जा रहा है. द सन की एक रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने कहा कि यूक्रेन पर जीत की जिद में व्लादिमिर पुतिन 10 लाख रूसी सैनिकों की बलि चढ़ाने से भी नहीं हिचकेंगे.
हर रोज कितने सैनिक खो रहा है रूस?
द सन की रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध में पुतिन की सेना 332 के रोजाना औसत से सैनिकों को खो रही है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये एक बड़े स्तर की सैन्य विफलता है, क्योंकि खराब ट्रेनिंग और हथियारों के साथ सैनिकों को मरने के लिए खाई में ढकेल दिया गया है. रूसी सैनिकों के मौत के आंकड़े अफगानिस्तान में हुए रूस के नुकसान से 6 गुना और इराक में अमेरिका को हुए नुकसान से 20 गुना ज्यादा है.
और भयावह हो सकते हैं हालात- एक्सपर्ट
हालांकि, यूक्रेन की ओर से जारी किए गए आंकड़ों को वेरिफाई नहीं किया गया है. इसके बावजूद एक्सपर्ट्स का मानना है कि पुतिन को एक बड़े स्तर की नाकामी का बोझ उठाना होगा. इसके साथ ही एनालिस्ट्स ने चेतावनी जारी की है कि पुतिन रुकने वाले नहीं हैं, तो रूस-यूक्रेन युद्ध की स्थिति और ज्यादा भयावह हो सकती है. व्लादिमिर पुतिन अपने सभी विकल्प इस्तेमाल कर लेंगे, लेकिन हारना स्वीकार नहीं करेंगे.
एक्सपर्ट्स के चेताते हुए कहा कि पुतिन इन संभावित विकल्पों के जरिये और ज्यादा रूसी सैनिकों को यूक्रेन के हाथों मरने के लिए भेज सकते हैं. दरअसल, बीते दिनों रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ मास डिस्ट्रक्शन वेपन 'प्रॉफेट ऑफ डूम' के इस्तेमाल की बात की थी. हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि यूक्रेन के खिलाफ न्यूक्लियर ताकत का इस्तेमाल करने के बावजूद पुतिन की सत्ता अगले साल गिर जाएगी. कहा जा रहा है कि अगर पुतिन को रोकने की कोशिश नहीं की गई, तो यूक्रेन युद्ध एक और दशक तक चल सकता है.
बीते 6 महीनों में पुतिन की छवि को लगा बड़ा धक्का
द सन के साथ बातचीत में अमेरिका की रूसी विशेषज्ञ ओल्गा लाउटमैन ने कहा कि बीते 6 महीनों में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्लादिमिर पुतिन की छवि कमजोर हुई है. ओल्गा ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से रूसी सेना की कमियां पूरी दुनिया के सामने खुलकर आ गई हैं. वो रक्षा मंत्रालय और वागनर समूह के बीच बंटे हुए हैं. उनमें एकता नहीं है. ओल्गा के अनुसार, जब तक पुतिन ने लोगों को इकट्ठा करने के आदेश नहीं दिए थे, तब तक यो तो रूसी नागरिकों नरसंहार के इस फैसले को नजरअंदाज कर रहे थे या समर्थन कर रहे थे.
पुतिन दे देंगे 1 मिलियन लोगों की बलि- एक्सपर्ट
ओल्गा लाउटमैन ने कहा कि रूसी सैनिकों की मौत के बढ़ते आंकड़ों से मास्को को कोई फर्क नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि अगर एक मिलियन रूसी भी मर जाए, तो ये मास्को इसके लिए चिंता नहीं करेगा. लाउटमैन ने ये भी कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से करीब साढ़े 7 लाख रूसी नागरिक देश छोड़कर जा चुके हैं. वहीं, इन सबके बीच ऐसी भी तस्वीरें आ रही हैं, जिनमें लोगों को जबरन सड़कों से पकड़कर भर्ती सेंटर्स पर ले जाया जा रहा है.
जितने सैनिक रूस खोएगा, ये युद्ध उतना ही जरूरी दिखेगा- एक्सपर्ट
ब्लोइंग अप रशिया किताब लिखने वाले रूस से निर्वासित विशेषज्ञ यूरी फेलस्की का कहना है कि युद्ध में हो रही मौतों की वजह से पुतिन को कमजोर नहीं समझा जा सकता है. उन्होंने कहा कि जितना ज्यादा रूस को नुकसान होगा, उतना ही ये युद्ध जरूरी दिखेगा. यूरी ने द्वितीय विश्व युद्ध का हवाला देते हुए कहा कि रूस में ऐतिहासिक तौर पर जिंदगी की कीमत बहुत सस्ती है. उन्होंने कहा कि अगर यूक्रेन रूसी क्षेत्र में बमबारी शुरू कर देता है, तो रूस को युद्ध महसूस होने लगेगा. तब ये युद्ध बहुत जल्द खत्म हो जाएगा. जैसे रूस-अफगानिस्तान युद्ध खत्म हुआ था.
न्यूक्लियर हमलों के लिए बेलारूस का हो सकता है इस्तेमाल
एक्सपर्ट ने कहा कि पश्चिमी देश रूस-यूक्रेन युद्ध में न्यूक्लियर हथियारों के संभावित इस्तेमाल की वजह से चौकन्ने हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि जवाबी हमलों से बचने के लिए रूस न्यूक्लियर हथियारों को अपने इलाके की जगह बेलारूस से इस्तेमाल कर सकता है. इसकी वजह से रूस पर जवाबी कार्रवाई का खतरा कम हो जाएगा.
पुतिन के हटने के बावजूद नहीं होगा समाधान
ओल्गा लाउटमैन ने कहा कि अगर व्लादिमिर पुतिन की सत्ता गिर जाती है और क्रेमलिन में कोई नया चेहरा आकर बदलाव की बात करता , तो ये बदलाव बहुत कम समय के लिए होंगे. इसके लंबे समय तक चलने की अपेक्षा नहीं की जा सकती है. बता दें कि अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देशों ने इस युद्ध में यूक्रेन को जमकर मदद की है. उन्होंने दावा किया कि युद्ध की हालिया स्थिति में रूस द्वारा जबरन कब्जाए गए क्रीमिया के लिए भी रास्ता खुल गया है.
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