Elon Musk Video: एलन मस्क के वीडियो ने मचाई खलबली, एक्सपर्ट बोले- रूस-यूक्रेन युद्ध के लिए पुतिन नहीं, बल्कि अमेरिका जिम्मेदार
एलन मस्क ने जो वीडियो शेयर किया है उसमें अमेरिकी अर्थशास्त्री जेफरी डी सैक्स दावा कर रहे हैं कि यूक्रेन युद्ध सिर्फ रूस की आक्रामकता नहीं थी, बल्कि यह अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो विस्तार के कारण हुआ.
Elon Musk on Russia Ukraine War: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में भले ही डोनाल्ड ट्रंप जीत दर्ज कर चुके हैं और जनवरी 2025 में राष्ट्रपति पद की शपथ लेकर आधिकारिक रूप से देश की कमान भी संभाल लेंगे, लेकिन उनके पक्ष से विरोधियों पर हमला जारी है. इसी कड़ी में उनके करीबी और इस बार चुनाव अभियान में अहम भूमिका निभाने वाले दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ने एक ऐसा वीडियो शेयर किया है जिससे जो बाइडेन के कार्यकाल पर सवाल उठ रहे हैं. हालांकि मस्क ने किसी का नाम नहीं लिया है, लेकिन रूस और यूक्रेन का युद्ध जब शुरू हुआ तब बाइडेन ही राष्ट्रपति थे.
दरअसल, एलन मस्क ने एक्स पर एक वीडियो शेयर किया है. इसमें उन्होंने रूस-यूक्रेन के संघर्ष में अमेरिका की ओर से निभाई गई कथित भूमिका की ओर इशारा किया है. वीडियो में अमेरिकी अर्थशास्त्री जेफरी डी सैक्स नजर आ रहे हैं, जो यूक्रेन युद्ध की जड़ों के बारे में तर्क दे रहे हैं. सैक्स ने दावा किया कि यह सिर्फ रूस की ओर से की गई आक्रामकता नहीं थी, बल्कि अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो विस्तार के कारण पड़ोसी देशों के बीच संघर्ष शुरू हुआ.
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— Elon Musk (@elonmusk) November 12, 2024
लगाया रूस को उकसाने का आरोप
इस वीडियो में सैक्स ये कहते दिख रहे हैं कि यूक्रेन को नाटो में शामिल करने के अमेरिका के इरादे ने सीधे तौर पर रूसी राष्ट्रपति पुतिन को हमले के लिए उकसाया. उन्होंने जोर देकर कहा, “यह यूक्रेन पर पुतिन का हमला नहीं है, जैसा कि हमें बताया गया है.”
वीडियो में अर्थशास्त्री ने किया बड़ा दावा
मस्क ने जिस वीडियो को शेयर किया है वह किस तारीख का है, ये तो साफ नहीं है, लेकिन इसमें सैक्स यह कहते सुने जा सकते हैं कि नाटो ने 1990 में तत्कालीन सोवियत राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव से किया वादा तोड़ा. उन्होंने कहा कि नाटो ने जर्मनी के पुनर्मिलन के बदले एक इंच भी पूर्व में न बढ़ने का वादा किया था. उनका तर्क है कि अमेरिका ने तब से धोखा दिया है. उन्होंने तर्क दिया कि समस्याएं नाटो के विस्तार से शुरू हुईं. आधिकारिक तौर पर 1999 में पोलैंड, हंगरी और चेक रिपब्लिक को इसमें शामिल करने से विवाद और बढ़ा.
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