रूस के हमले के बाद यूक्रेन बुरी तरह प्रभावित है. दुनियाभर के तमाम देशों की नाराजगी के बावजूद रूस अपना हमला रोकने के लिए तैयार नहीं है. रूस के इन हमलों में अब तक हजारों लोगों की मौत हो चुकी है. लेकिन दुनिया के तमाम देशों के अलावा खुद रूस में ही इस हमले का विरोध हो रहा है. सैकड़ों लोग रोजाना अपनी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं. इसी बीच बताया गया है कि शुक्रवार 4 मार्च को फेसबुक समेत कई मीडिया वेबसाइट्स डाउन हो गईं. 


रूस पर आवाज दबाने की कोशिश के आरोप
फेसबुक और तमाम मीडिया वेबसाइट्स के डाउन होने के बाद लोगों का गुस्सा और भी ज्यादा बढ़ गया. रूस के लोग पुतिन और उनके फैसले के खिलाफ सोशल मीडिया पर भी खूब प्रदर्शन कर रहे हैं. साथ ही मीडिया वेबसाइट्स इन प्रदर्शनों को अच्छी तरह कवर भी कर रहे हैं. अब इन डिजिटल मीडिया साइट्स के बंद होने के पीछे भी रूसी सरकार का हाथ बताया जा रहा है और कई आरोप लग रहे हैं. 


न्यूज एजेंसी एएफपी के रिपोर्टर्स और एक मॉनिटर ग्रुप ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा है कि, यूक्रेन को लेकर जो भी आवाज उठ रही हैं, उन्हें दबाने की कोशिश की जा रही है. फेसबुक समेत अन्य मीडिया वेबसाइट्स का डाउन होना इसी का एक संकेत है. हालांकि रूस के खिलाफ ऐसे प्रदर्शन कई देशों में जारी हैं, सोशल मीडिया पर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की जमकर आलोचना हो रही है. वहीं यूक्रेन पर इस हमले को लेकर तमाम बड़े देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं. जिनका असर अब रूस की अर्थव्यवस्था पर देखने को मिल रहा है. 


बेनतीजा रही दोनों दौर की बातचीत
बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच दो दौर की बातचीत हो चुकी है. लेकिन अब तक कोई भी हल नहीं निकल पाया है. रूस बातचीत के बाद हमले और तेज कर रहा है और यूक्रेन को अपनी शर्तें मानने के लिए मजबूर किया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ यूक्रेन का कहना है कि वो किसी भी शर्त पर हामी तभी भरेगा जब रूस अपनी सेना को यूक्रेन से वापस लेगा. साथ ही यूक्रेन हार मानने के लिए तैयार नहीं है. यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की का कहना है कि वो देश की रक्षा के लिए लड़ते रहेंगे. उन्होंने ये दावा किया है कि अब तक रूस के 9 हजार से ज्यादा सैनिकों को मार गिराया गया है. 


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