Russia Ukraine War Impact : यूक्रेन (Ukraine) से जारी युद्ध से रूस (Russia) के सरकारी खजाने पर काफी दबाव पड़ रहा है. युद्ध की फंडिंग के लिए रूस को अब नए-नए तरीके आजमाने पड़ रहे हैं. इसी कवायद के तहत रूस ने डेब्ट बॉन्ड जारी करके निवेशकों से 11 बिलियन पाउंड से ज्यादा की रकम जुटाई है. रूस ने पिछले हफ्ते के आखिर में 11.4 बिलियन पाउंड का ऋण बॉन्ड जारी किया. ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय के मुताबिक रूस के इतिहास में एक दिन में इतने बड़े पैमाने पर ऋण बॉन्ड से राशि जुटाने का यह रिकॉर्ड है. 


कर्ज बॉन्ड से  जुटाए 11.4 बिलियन पाउंड की राशि  


यूक्रेन से जारी युद्ध के बीच अगले साल रूस के सैन्य खर्च में 40 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है. सरकारी खजाने पर पड़ने वाले इस भार को पूरा करने के लिए रूस ने यह कदम उठाया है. रूस चाहता है कि यूक्रेन से युद्ध की वजह से सरकारी राजस्व पर दबाव न पड़े. इसलिए रूस किसी भी तरह से ज्यादा से ज्यादा नकदी जुटाने में जुटा है.


मंदी की चपेट में रूस की अर्थव्यवस्था


रूस-यूक्रेन युद्ध का दसवां महीना शुरू होने वाला है और युद्ध की वजह से रूस कई विदेशी प्रतिबंधों का सामना कर रहा है. पिछले हफ्ते आए आंकड़ों के मुताबिक इस साल की दूसरी तिमाही के बाद तीसरी तिमाही में भी रूस की विकास दर में 4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. दूसरी तिमाही में विकास दर में 4.1 प्रतिशत की गिरावट आई थी. इससे देश की अर्थव्यवस्था मंदी (Recession) में प्रवेश कर गई है.


यूक्रेन से युद्ध के बीच सैकड़ों बड़ी कंपनियां रूस छोड़कर भाग गई हैं या वहां कारोबार करने से मना कर दिया है और इससे निर्यात कम हो गया है. यूक्रेन से युद्ध छिड़ने के बाद तेल और गैस की बिक्री बढ़ी, इस वजह से इस साल रूस की अर्थव्यवस्था पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ा, लेकिन अमेरिका और यूरोपीय संघ की ओर से बड़े पैमाने पर प्रतिबंध लगाने की वजह से साल 2023 में रूस का राजस्व बहुत कम होने की आशंका है. आर्थिक जानकारों के मुताबिक इस साल रूस की अर्थव्यवस्था में 4.6 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिलेगा. पिछले तीन साल में ये दूसरा साल होगा जब वहां मंदी के लक्षण दिख रहे हैं.


पुतिन अपनी जिद पर कायम 


रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) चाहते है कि युद्ध के लिए सैनिकों की आपूर्ति पर कोई असर नहीं पड़े और इसी को देखते हुए रूस चीन और तुर्की को ज्यादा तेल और गैस सप्लाई करना चाहता है. लेकिन ये दोनों देश यूरोपीय देशों की तुलना में गैस और तेल ज्यादा सस्ते में खरीदना चाहते हैं. ऐसे हालात में रूस बाकी सामानों के निर्यात में आई कमी की भरपाई नहीं कर पाएगा. पुतिन और उनके प्रशासन पर युद्ध अपराधों के आरोपों को देखते हुए यूक्रेन युद्ध समाप्त होने के बाद भी रूस के वैश्विक व्यापारिक संबंधों को पहले की तरह बहाल करने की संभावना अभी दूर की कौड़ी लगती है.


रूस को 14 बिलियन पाउंड से ज्यादा का नुकसान


यूक्रेन से युद्ध पर रूस को कितना खर्च करना पड़ रहा है, फिलहाल इसकी सटीक गणना करना मुश्किल है. फोर्ब्स (Forbes) की ओर से अगस्त में किए गए अनुमान के मुताबिक उस वक्त तक इस युद्ध से रूस ने कम से कम 14 बिलियन पाउंड के मूल्य के उपकरण खो दिए थे. हालांकि युद्ध की वास्तविक कीमत खोए हुए उपकरणों की तुलना में बहुत अधिक होगी. इसको रूस पर अलग-अलग देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंध, वहां के लोगों के कामकाजी जीवन में आई बाधा और  कामकाजी पुरुषों के जीवन को हुए नुकसान के नजरिए भी देखना होगा.


अंतर्राष्ट्रीय कर्ज के ब्याज भुगतान में हो रही है मुश्किल


रूस के कर्ज के जरिए पूंजी जुटाने की क्षमता पर भी सीधा प्रभाव पड़ा है. इस साल जुलाई में रूस अंतर्राष्ट्रीय कर्ज के ब्याज भुगतान में भी असफल रहा है. मॉस्को पर अंतर्राष्ट्रीय उधारदाताओं का 100 मिलियन डॉलर का बकाया था, लेकिन प्रतिबंधों के बाद भुगतान करने में असमर्थ होने के कारण रूस को अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग प्रणाली से अलग कर दिया गया था. साल 1918 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि रूस ब्याज भुगतान में चूक गया है.


हालांकि क्रेमलिन ने डिफॉल्टर वाले हालात से इंकार किया है, इसके बावजूद रेटिंग एजेंसी मूडीज ने एक महीने की मोहलत अवधि खत्म होने के बाद ब्याज भुगतान में चूक वाली स्थिति की घोषणा की. डिफॉल्टर घोषित होने के शुरुआती प्रभाव तो ज्यादा नहीं है, लेकिन भविष्य में रूस के लिए अंतर्राष्ट्रीय कर्ज महंगा हो सकता है. 


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