अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शुक्रवार को अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि चीन यूक्रेनी शहरों पर भीषण हमले कर रहे रूस को मदद मुहैया कराने का फैसला करता है, तो बीजिंग के लिए इसके कुछ निहितार्थ और परिणाम होंगे. व्हाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह जानकारी दी.


अधिकारियों के मुताबिक, बाइडेन  और जिनपिंग में वीडियो कॉल पर हुई 110 मिनट लंबी बातचीत यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद दोनों नेताओं में हुई पहली बातचीत थी. उन्होंने बताया कि यह बातचीत मुख्य रूप से यूक्रेन में रूस के विशेष सैन्य अभियान और अमेरिका-चीन संबंधों के अलावा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए उसके निहितार्थ पर केंद्रित थी.


‘बाइडेन ने प्रतिबंधों की जानकारी दी’
अधिकारियों ने कहा, “राष्ट्रपति बाइडेन ने रूस पर प्रतिबंध लगाने सहित उन उपायों के बारे में बताया, जिनका मकसद हमले रोकना और उनका जवाब देना है. उन्होंने यह भी बताया कि अगर चीन ने यूक्रेन पर हमला कर रहे रूस की मदद की तो इसके क्या निहितार्थ और परिणाम हो सकते हैं.”


हालांकि, बाद में बाइडेन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सार्वजनिक रूप से यह बताने से इनकार कर दिया कि मॉस्को के करीबी सहयोगी बीजिंग के लिए इसके क्या नतीजे हो सकते हैं. उन्होंने कहा, “मैं यहां सार्वजनिक तौर पर हमारे विकल्पों को साझा नहीं करने जा रहा.”


रूस की निंदा से बचता रहा है चीन
चीन 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से ही उसकी निंदा करने से बचता आ रहा है. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि बातचीत का अधिकांश हिस्सा यूक्रेन संकट पर अमेरिका, उसके सहयोगियों व भागीदारों के विचारों को रेखांकित करने में बीता और इस दौरान बाइडेन ने जिनपिंग को बताया कि ‘‘हम यहां कैसे पहुंचे, हमने क्या कदम उठाए, हम क्यों इस हद तक गए.’’


बाइडेन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बातचीत एकदम स्पष्ट थी और इस दौरान बाइडेन ने जिनपिंग को पुतिन के कदमों को लेकर अमेरिकी आकलन से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि बाइडेन ने चीनी राष्ट्रपति को विस्तार से बताया कि कैसे स्थितियां इस पड़ाव तक पहुंचीं और मौजूदा हालत को लेकर उनका क्या आकलन है. उन्होंने कहा कि बातचीत में अमेरिकी राष्ट्रपति ने संकट के राजनयिक समाधान के प्रति अपना समर्थन भी जताया.


अधिकारी के अनुसार, बाइडेन ने यूक्रेन को लेकर अमेरिका और इसके यूरोपीय, नाटो और हिंद-प्रशांत भागीदारों के बीच अभूतपूर्व समन्वय तथा रूसी आक्रमण की वैश्विक निंदा का भी जिक्र किया. उन्होंने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस बात पर चिंता जताई कि रूस यूक्रेन में जैविक हथियारों के इस्तेमाल की आशंकाओं को लेकर दुष्प्रचार फैला रहा है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.


अधिकारी ने कहा कि बातचीत के दौरान जिनपिंग ने जहां ताइवान का मुद्दा उठाया, वहीं बाइडेन ने स्पष्ट किया कि अमेरिका अपनी एक-चीन नीति पर अडिग है और ताइवान संबंध अधिनियम, तीन संयुक्त शासकीय सूचनाओं व छह आश्वासनों का पालन कर रहा है. अधिकारी के मुताबिक, बाइडेन ने ताइवान खाड़ी में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने की अहमियत पर भी जोर दिया.


चीनी विदेश मंत्रालय ने जारी किया एक बयान
वहीं, चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि बातचीत में जिनपिंग ने स्पष्ट किया कि अमेरिका और चीन के बीच मतभेद रहे हैं और हमेशा रहेंगे, लेकिन इन मतभेदों को नियंत्रण में रखना बेहद मायने रखता है.


बयान में जिनपिंग के हवाले से कहा गया है, “चीन यूक्रेन में हालात को इस कगार पर आते नहीं देखना चाहता है. चीन शांति का समर्थक है और युद्ध का विरोध करता है. यह भावना चीन के इतिहास और संस्कृति में पिरोई हुई है.”


जिनपिंग ने कहा, “सभी पक्षों को संवाद और सुलह-समझौता करने में रूस और यूक्रेन का मिलकर समर्थन करना चाहिए, जिससे क्षेत्र में शांति सुनिश्चित हो सकेगी. अमेरिका और नाटो को भी यूक्रेन संकट पर रूस से बातचीत करनी चाहिए, ताकि रूस और यूक्रेन की सुरक्षा चिंताएं दूर हो सकें.”