Russia Ukraine War: रूस पर कहर बरपा रही यह छोटी सी जेवलिन मिसाइल, जानिए कैसे करती है काम और क्या है खास
Russia Ukraine Crisis: इन दिनों एक छोटी से मिसाइल ने रूसी सैनिकों की हालत खराब कर दी है. अमेरिका में निर्मित इस मिसाइल से यूक्रेन के सैनिक रूसी सैनिकों के कई टैंक और तोप को नष्ट कर चुके हैं.
Russia Ukraine Conflict: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध में यूक्रेनी सेना ने शुरू से ही जिस तरह मॉस्को सेना का मुकाबला किया है, उससे उसकी तारीफ हो रही है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में यह तारीफ और बढ़ गई है. इस तारीफ की वजह है यूक्रेनी सेना द्वारा जेवलिन एंटी टैंक मिसाइल. इस मिसाइल के जरिए यूक्रेनी सेना ने रूस की सेना पर खूब कहर बरपाया है और उनके कई टैंक नष्ट कर दिए हैं. सैन्य विशेषज्ञ भी इस बात को मान रहे हैं कि अमेरिका में बने इस हल्के लेकिन घातक हथियार ने यूक्रेन के सैनिकों की रूसी टैंकों और तोपखाने को भारी नुकसान पहुंचाने में काफी मदद की है. रूसी सैनिक जैसे-जैसे कीव की तरफ बढ़ रहे हैं, वैसे वैसे ही यूक्रेनी सेना ने इसका इस्तेमाल तेज कर दिया है.
कैसे काम करती है यह मिसाइल
इस टैंक रोधी मिसाइल को डिफेंस कॉन्ट्रैक्टर रेथियॉन और लॉकहीड मार्टिन ने बनाया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये मिसाइल लॉन्च होने के बाद खुद ही लक्ष्य की और निर्देशित होती है, इससे गनर को कवर लेने और काउंटरफायर से बचने या फिर एक नई मिसाइल लोड करने का मौका मिल जाता है. इसकी शुरुआत भी काफी सामान्य तरीके से होती है, जिससे दुश्मन के लिए यह देख पाना मुश्किल हो जाता है कि इसे कहां से लॉन्च किया गया. यह मिसाइल 'फायर एंड फॉरगेट' सिस्टम पर काम करती है. यानी फायर से पहले ही यह अपने टारगेट को लॉक कर लेती है और स्वचालित होकर दुश्मन को नुकसान पहुंचाती है.
इस तरह चलाते हैं इसे
जेवलिन मिसाइलें 'मैन पोर्टेबल' हैं और इन्हें कंधों पर रखकर चलाया जा सकता है. वहीं अन्य एंटी-टैंक मिसाइल सिस्टम को यूज करने के लिए ट्राइपॉड चाहिए होता है. इसका इस्तेमाल डायरेक्ट और इंडायरेक्ट अटैक के लिए भी किया जा सकता है. जेवलिन मिसाइलें 160 मीटर ऊंचाई तक जा सकती है और फिर अपने टारगेट पर गिर सकती है.
कुछ और खास बातें
जेवलिन मिसाइल की लंबाई 108.1 सेमी होती है. यह महज 14 सेकेंड में 2000 मीटर दूर स्थित टारगेट को बड़ी आसानी से ध्वस्त कर देती है. मिसाइल लॉन्चर का वजन मिसाइल सहित 22.3 किग्रा होता है. यह अपने लक्ष्य को टारगेट करने के लिए इंफ्रारेड तकनीक का इस्तेमाल करती है. इसकी रेंज की बात करें तो यह 2.5 मील है. इस एक मिसाइल को बनाने में अनुमानित लागत करीब 80,000 डॉलर से 200,000 डॉलर है.
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