Russia Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. यूक्रेन पर रूस के हमलों को देखते हुए अब दुनिया पर एक बार फिर विश्व युद्ध और परमाणु हमले का खतरा मंडरा रहा है. इसी बीच अमेरिका और यूरोपीय देशों ने इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी है. यूरोप और अमेरिका में पोटेशियम आयोडाइड के कैप्सूल की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ गई है. माना जाता है कि इस दवा से परमाणु हमले का रेडिएशन कम किया जा सकता है. हलांकि अमेरिका ने इस बात से इनकार कर दिया है कि वो सीधे रूस से भिड़ेगा. अमेरिका ने कहा है कि वो रूस के साथ संघर्ष नहीं चाहता है और जंग में अपने सैनिकों को नहीं भेजेगा.
रूस-यूक्रेन जंग के बीच उठे कई सवाल
पोटेशियम आयोडाइड के कैप्सूल की डिमांड के बीच अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग ने भी करीब 2400 करोड़ रुपए खर्च करके ऐसी ही एक दवा की खेप खरीदी है. अब सवाल है कि अमेरिका ये सब क्यों कर रहा है. क्या अमेरिका को न्यूक्लियर हमले के इनपुट मिले हैं? क्या सच में परमाणु युद्ध होने वाला है? ये तमाम सवाल यूं ही नहीं उठ रहे हैं. अमेरिका जो तैयारी कर रहा है उससे साफ होता है कि दुनिया इस वक्त परमाणु जंग के मुहाने पर है.
परमाणु हमले से कैसे बचाएगी टैबलेट
अब आप सोच रहे होंगे कि एक दवा का एटमी जंग से क्या कनेक्शन हो सकता है .तो जान लीजिए अमेरिका ने पहली बार इतनी बड़ी खरीद जिस N प्लेट ड्रग की है वो रेडिएशन से बचाने में कारगर मानी जाती है. माना जाता है कि ये कैप्सूल केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर हमले में शरीर के अंदर रेडिएशन फैलने और खून के डिसऑर्डर को रोकते हैं. जब एटम बम फूटता है तो I-131 नाम का जानलेवा रेडियोएक्टिव हवा में तैरने लगता है. दावा किया जाता है कि आयोडीन के कैप्सूल इसी आई-131 से बचाते हैं.
ये बात सच है कि यूक्रेन की जंग के बाद दुनिया भर में पोटेशियम आय़ोडाइड यानी आयोडीन के कैप्सूल रिकॉर्डतोड़ बिके हैं. यूरोप में कई डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर बनाकर ये कैप्सूल बेचे गए. आयोडीन टैबलेट की कीमत भी कई गुना बढ़ चुकी है. अब रूस और यूक्रेन की जंग तेज होने पर इस टैबलेट की खरीद में आई तेजी परमाणु हमले के खतरे की तरफ इशारा करती है.
ये भी पढ़ें -
Ukraine-Russia Conflict: रूस ने META को 'आतंकवादी और चरमपंथी' संगठनों की लिस्ट में डाला