Russia-Ukraine War: पुतिन के जासूस ने अमेरिकी खुफिया अधिकारी से मुलाकात का किया खुलासा, जानें क्या कहा
Russia-Ukraine War: अमेरिका और रूस के शीर्ष खुफिया अधिकारियों ने 14 नवंबर को तुर्की की राजधानी अंकारा में मुलाकात की थी. इसे लेकर पुतिन के जासूस ने खुलासा किया है कि किसी विषय पर कोई बातचीत नहीं हुई.
Russia-Ukraine War: रूस के विदेशी खुफिया प्रमुख सर्गेई नारीशकिन ने बुधवार को एक आरआईए न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में बताया है कि उन्होंने इस महीने की शुरुआत में यूनाइटेड स्टेट्स सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी के निदेशक विलियम बर्न्स के साथ 14 नवंबर को हुई एक मीटिंग में परमाणु मुद्दों और यूक्रेन युद्ध को लेकर चर्चा की थी. इस मुलाकात में जिस विषय पर चर्चा हुई थी, उस पर रूस ने पहले कोई टिप्पणी नहीं की थी.
वहीं, इस बैठक के बारे में अमेरिका ने कहा है कि यह कहा है कि यूक्रेन को लेकर बातचीत का विषय संवेदनशील था, जिसपर रूसी विदेशी खुफिया प्रमुख बर्न्स ने मुलाकात के दौरान परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर चेतावनी दी थी. बता दें कि अमेरिकी सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी के डायरेक्टर और रूस के विदेशी खुफिया प्रमुख की तुर्की की राजधानी अंकारा में मुलाकात की थी.
दोनों खुफिया अधिकारियों के बीच खास बातचीत नहीं हुई थी
मास्को में अमेरिकी दूतावास में chargee d'affaires एलिजाबेथ रूड ने इस सप्ताह रूस की आरआईए समाचार एजेंसी को बताया कि बर्न्स ने "कुछ भी बातचीत नहीं की और उन्होंने यूक्रेन में संघर्ष के समाधान पर भी कोई चर्चा नहीं की थी." रूसी खुफिया प्रमुख नारीशकिन ने RIA समाचार एजेंसी से कहा, "मैं एलिजाबेथ रूड के बयान की पुष्टि करता हूं. इसके अलावा मैं यह कह सकता हूं कि 14 नवंबर को हुई इस बैठक में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले शब्द थे, 'रणनीतिक स्थिरता', 'परमाणु सुरक्षा', 'यूक्रेन' और 'कीव शासन."
फिर से बातचीत की जरूरत हो तो हम तैयार हैं
नारीशकिन ने रूड की इस टिप्पणी की भी पुष्टि की है कि दोनों देशों के पास युद्ध को रोकने के लिए एक विकल्प है और यदि दोनों खुफिया अधिकारियों की इस तरह की एक और बातचीत की आवश्यकता होती है तो हम इसके लिए तैयार हैं. CIA प्रमुख बर्न्स खास तौर से रूस के विदेशी खुफिया प्रमुख सर्गेई नारिश्किन से मिलने के लिए तुर्की के अंकारा आए थे. रूस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी को शुरू हुई जंग के बाद अमेरिकी और रूसी अधिकारियों की यह पहली हाई लेवल मीटिंग थी.