यूक्रेन पर हमला करने के साथ-साथ रूस जमकर बयानबाजी भी कर रहा है. परमाणु युद्ध की धमकी के बाद रूस ने अब नाटो को चेतावनी दी है. उसने कहा है कि नाटो लगातार यूक्रेन को हथियार सप्लाई कर रहा है और इस बात की गारंटी नहीं है कि हम जवाब नहीं देंगे. 


बता दें कि रूस और यूक्रेन की जंग की वजहों में नाटो भी है. दरअसल अमेरिका समेत नाटो के कई सदस्य देश चाहते हैं कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बन जाए, लेकिन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ऐसा किसी भी हालत में नहीं होने देना चाहते हैं. 


रूस चाहता है कि नाटो अपना विस्तार बंद करे. पुतिन कई बार कह चुके हैं कि यूक्रेन का NATO में शामिल होना रूस को किसी कीमत पर मंजूर नहीं है. वो इसकी लिखित गारंटी चाहते हैं कि यूक्रेन नाटो में नहीं जाएगा. रूस ये भी चाहता है कि नाटो रूस के आसपास अपने देशों द्वारा हथियारों की तैनाती बंद करे.


वहीं, यूक्रेन को रूस से खतरा महसूस होता है, इसलिए वह अपनी आजादी बरकरार रखने के लिए ऐसे सैन्य संगठन की जरूरत महसूस करता है जो उसकी रक्षा कर सके. उसके लिए NATO से बेहतर कोई दूसरा संगठन नहीं हो सकता. 


क्या है NATO


1939-1945 के बीच चले दूसरे विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ की विस्तारवादी नीति कायम रही. सोवियत संघ को रोकने के लिए अमेरिका ने 1949 में 12 देशों के साथ नाटो (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन) बनाया. धीरे-धीरे इसमें और सदस्य बढ़ते गए. आज के समय में नाटो के 30 देश सदस्य हैं. 


यह एक सैन्य गठबंधन है और इसका उद्देश्य साझा सुरक्षा नीति पर काम करना. अगर कोई देश नाटो के किसी भी सदस्य पर हमला करता है तो नाटो का यह फर्ज होता है कि सभी देश एकजुट होकर उस पर हमला करें या उससे बदला लें.


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