'रोज मारे गए 10 रूसी सैनिक'... खेरसॉन के लोगों ने बताई बहादुरी की कहानी, यूक्रेन के खिलाफ पस्त पड़े पुतिन
2 मार्च को रूस ने खेरसॉन पर कब्जा कर लिया था, लेकिन वहां के लोगों के विरोध के चलते रूसी सैनिकों को यहां से जाना पड़ा.
Russia-Ukraine War: रूस ने यूक्रेन के खेरसॉन (Kherson) शहर से अपना कब्जा छोड़ दिया है. 24 फरवरी को शुरू हुई इस जंग में यह अब तक का सबसे बड़ा झटका था, जो पुतिन को लगा. व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने खेरसॉन को रूस में शामिल भी कर लिया था. इसके बावजूद, यूक्रेन की सेना (Ukraine Army) ने खेरसॉन को वापस हासिल कर लिया. अब खेरसॉन में यूक्रेनी प्रतिरोध की कहानियां सामने आ रही हैं. यूक्रेन के एक नागरिक ने बताया कि खेरसॉन में हर रात कम से कम 10 रूसी सैनिक मारे जा रहे थे.
सीएनएन पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने जब मॉस्को पर कब्जा किया तो उसके कुछ दिन बाद, मार्च की शुरुआत में दो रूसी सैनिक खेरसॉन की एक सड़क पर उतरे. उस रात तापमान शून्य से काफी नीचे था और बिजली गुल थी. इस दौरान एक को ठोकर लगी और दूसरा फुटपाथ के किनारे खुद को राहत देने के लिए रुक गया. अचानक ही एक चाकू उसकी गर्दन के दाहिने हिस्से में घुस गया.
'सड़क पर न लोग थे और न लाइट'
यूक्रेनी प्रतिरोध सेनानी आर्ची कहते हैं, "मैंने पहले एक को तुरंत खत्म कर दिया और फिर मैंने दूसरे को पकड़ लिया और उसे भी मौके पर ही मार डाला." आर्ची ने आगे बताया कि उसने orcs को वर्दी में देखा और सोचा, "क्यों नहीं?." आर्ची ने रूसियों के लिए अपमानजनक शब्द का उपयोग करते हुए कहा, "सड़क पर न तो लोग थे और न ही लाइट, ऐसे में मैंने इस पल का पूरा फायदा उठाया."
'पहले मुझे बुरा लगा, लेकिन वे मेरे दुश्मन थे'
20 वर्षीय आर्ची एक प्रशिक्षित मिश्रित मार्शल आर्ट फाइटर हैं. सीएनएन ने पहचान की रक्षा के लिए असली नाम उजागर नहीं किया है. आर्ची ने बताया, "एड्रेनालाईन ने अपनी भूमिका निभाई. मेरे पास सोचने के लिए कोई डर या समय नहीं था. पहले कुछ दिन तो मुझे बहुत बुरा लगा, लेकिन फिर मुझे एहसास हुआ कि वे मेरे दुश्मन थे. वे मुझसे इसे लेने के लिए मेरे घर आए थे."
प्रदर्शनकारियों पर चली गोलियां, डंडों से पीटा
बता दें कि 2 मार्च को रूस ने खेरसॉन पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद खेरसॉन के नागरिक नीले और पीले यूक्रेनियन झंडे को धारण करते हुए दैनिक विरोध प्रदर्शन के लिए मुख्य चौराहे पर आ गए थे. प्रदर्शनकारियों को आंसू गैस और गोलियों से सामना भी करना पड़ा. कुछ को गिरफ्तार भी किया गया और प्रताड़ित किया गया. जब शांतिपूर्ण प्रदर्शन काम नहीं आया तो खेरसॉन के लोग प्रतिरोध में बदल गए और आर्ची जैसे आम नागरिकों ने अपने दम पर कार्रवाई शुरू कर दी.
'हर रात 10 रूसी सैनिक मारे गए'
आर्ची कहते हैं, "मैं खेरसॉन में अकेला नहीं था. बहुत सारे चतुर लोगे थे... हर रात कम से कम 10 रूसी मारे गए." आर्ची ने सीएनएन को बताया कि उनका एक दोस्त है जिसके साथ वो शहर के चारों ओर ड्राइव करते थे और रूसी सैनिकों के जमावड़े को तलाशते थे. उन्होंने बताया, "हमने उनके गश्ती मार्गों की जांच की और फिर फ्रंटलाइन पर लोगों को सारी जानकारी दी और उन्हें पता था कि आगे किसे पास करना है."
'मुझे पीटा, बिजली का झटका दिया...'
द्वितीय विश्व युद्ध में सोवियत संघ की जीत का जश्न मनाते हुए विजय दिवस परेड में भाग लेने के बाद 9 मई को कब्जे वाले अधिकारियों ने आर्ची को गिरफ्तार कर लिया था. उसकी टी-शर्ट पर पीले और नीले रंग की पट्टी पहनी थी. आर्ची याद करते हुए कहते हैं, ''उन्होंने मुझे पीटा, बिजली का झटका दिया, लातों से मारा और डंडों से पीटा.'' "मैं यह नहीं कह सकता कि उन्होंने मुझे भूखा रखा, लेकिन उन्होंने खाने के लिए बहुत कुछ नहीं दिया."
'मैंने बेसमेंट से चीखने की आवाजें सुनीं'
आर्ची काफी भाग्यशाली थे कि उन्हें नौ दिनों के बाद जाने दिया गया. हालांकि, आर्ची और अन्य प्रतिरोध सेनानियों के साथ-साथ यूक्रेनी सैन्य और खुफिया स्रोतों के अनुसार, कई अन्य लोगों को कभी नहीं छोड़ा गया. इहोर, जिसने सीएनएन को अपनी सुरक्षा के लिए अपना अंतिम नाम प्रकट नहीं करने के लिए कहा था, उनको भी इस सुविधा में रखा गया था. 29 वर्षीय ने कहा, "मुझे यहां 11 दिनों तक रखा गया था और उस दौरान मैंने बेसमेंट से चीखने की आवाजें सुनीं. लोगों को प्रताड़ित किया गया था, उन्हें हाथ और पैरों में लाठियों से पीटा गया था, मवेशियों की छड़ें, यहां तक कि बैटरी तक लगा दी गई थीं और पानी में डुबाया गया था."
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