Russia Ukraine Conflict: सीरियाई शरणार्थी अहमद अल-हरीरी पिछले 10 साल से यूरोप में नई जिंदगी की शुरुआत की उम्मीद लिए टिके हुए हैं, परिणाम जीरो है, लेकिन उम्मीद की डोर अब भी टूटी नहीं है. हालांकि पिछले कुछ दिनों से आसपास के माहौल को देखकर वह थोड़े निराश जरूर हुए हैं औऱ अपनी किस्मत को भी कोस रहे हैं. दरअसल उन्हें 10 साल से भी अधिक समय हो गया है, लेकिन किसी भी यूरोपियन कंट्री ने उन्हें नहीं अपनाया है, जबकि यूक्रेन के लोगों के लिए यही देश बाहें खोल हुए हैं और हजारों लोगों को अपने देश की नागरिकता भी देने को तैयार हैं. तीन बच्चों के पिता अहमद कहते हैं कि मैं इस मामले में बहुत कुछ नहीं कर सकता, लेकिन अपनी किस्मत की तुलना जरूर कर सकता हूं.


बर्फ के बीच तंबू में जीने को मजबूर


अहमद अल-हरीरी कहते हैं कि, सभी देशों में यूक्रेनियंस का स्वागत किया जा रहा है, जबकि हम सीरियाई शरणार्थी इतने लंबे समय से तंबू में बर्फ के नीचे रह रहे हैं. हम रोज ही मौत का सामना करते हैं, लेकिन कोई हमारी सुध लेने को तैयार नहीं है. उन्होंने बताया कि मेरी तरह करीब 30 परिवार यहां बदहाली में जीने को मजबूर हैं.


यहां जी रहे दयनीय जीवन


वह कहते हैं कि हम में से अधिकतर आज से 10 साल पहले जब देश छोड़कर निकले थे तो खराब मौसम में भी हमने खतरनाक लंबी पैदल यात्रा की. समुद्र पार करने के दौरान कुछ लोगों की मौत भी हुई. कई को इसलिए मार दिया गया क्योंकि वह यूरोप की सीमाओं में घुसने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन इस समय ऐसा कुछ नहीं हो रहा है. अभी यूक्रेनियों का स्वागत हो रहा है.


हमारे लिए ठीक से दरवाजे तक नहीं खुले


वह कहते हैं कि रूस के हमले के चार दिन बाद ही सोमवार को यूरोपीय संघ ने कहा कि कम से कम 400,000 शरणार्थियों ने यूक्रेन से यहां प्रवेश किया है. अभी लाखों के और आने की उम्मीद है. इन लोगों के लिए यूरोपीय संघ ऐसे उपाय तैयार कर रहा है जो अस्थायी निवास परमिट के साथ-साथ इन्हें रोजगार दे और सामाजिक कल्याण तक भी पहुंचाए, लेकिन हमारे मामले में ऐसा नहीं हुआ. हमारे लिए तो अब भी ठीक से दरवाजे तक नहीं खुले हैं. हालांकि 2021 की शुरुआत में, सीरिया के संघर्ष के 10 साल बाद, यूरोपीय संघ के राज्यों ने 1 मिलियन सीरियाई शरणार्थियों और शरण चाहने वालों को प्रवेश दिया. इनमें से अकेले जर्मनी ने आधे से अधिक लोगों को एंट्री दी थी.


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