Russia Ukraine News: रूस और यूक्रेन की जंग खतरनाक मुकाम पर है. क्रीमिया पुल पर हमले के बाद रूस ने यूक्रेन पर हमले तेज कर दिए हैं. भारत ने भी अपने नागरिकों को यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी है. इस बीच भारत सरकार के उच्च अधिकारियों की मानें तो भारत इस युद्ध में शामिल दोनों देशों में से किसी को भी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सैन्य सहायता देने का पक्षधर नहीं है. 


भारत वेट एंड वॉच की नीति पर पर भारत
भारत इस युद्ध में सक्रिय भूमिका से खुद को दूर रखना चाहता है, मगर युद्ध विराम के लिए मध्यस्थता की खातिर भारत हमेशा तैयार है. भारत दोनों देशों के बीच शांति कायम करने का पक्षधर है. फिलहाल भारत वेट एंड वॉच की नीति पर चल रहा है. किसी भी सूरत में भारत ना तो रूस से रिश्ते खराब करना चाहता है और ना ही यूक्रेन को मानसिक, आर्थिक और सैन्य मदद देने वाले पश्चिमी देशों से. इनमें अमेरिका भी शामिल है जिसे भारत नाराज नहीं करना चाहता. 


भारत की कूटनीति
भारत की कूटनीति और आर्थिक उन्नति के लिए रूस और यूक्रेन यानी दोनों तरफ के मुल्क अहम हैं. लिहाजा भारत ने पहले दिन से यह विकल्प खुला रखा है कि अगर युद्ध विराम के लिए बिचौलिया की भूमिका अदा करनी हो तो वह आगे आएगा. निकट भविष्य में अगर ऐसा होता है तो शांतिदूत के तौर पर भारत विश्व मानचित्र में शिखर पर होगा.
 
यह समय युद्ध लड़ने का नहीं है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रूस दौरे के दौरान इतना कहना कि यह समय युद्ध लड़ने का नहीं है, इसी ओर एक बड़ा संकेत है. मौजूदा हालात में चीन बड़े दोस्त की तरह रूस के साथ खड़ा है. तो दूसरी तरफ अमेरिका बड़े भाई की तरह यूक्रेन की ना सिर्फ हर संभव मदद कर रहा है बल्कि रूस को घूरने का भी कोई मौका नहीं छोड़ रहा. इस युद्ध ने पूरी दुनिया को असुरक्षा और महंगाई के जाल में फंसा दिया है, अगर भारत के प्रयास इस जाल को कुतरने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं तो वह विश्व गुरु होगा.