Ukraine War: रूस- यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को एक साल होने को है लेकिन हालात सामान्य होते नहीं दिख रहे. दोनों देशों की तरफ से आक्रमणकता बढ़ती जा रही है. कई देशों से सैन्य मदद मिलने के बाद से यूक्रेन रूस पर हावी होता दिख रहा है. वहीं, रूस जंग जीतने हेतु जी जान से जुटा हुआ है. इस युद्ध में पश्चिमी देश यूक्रेन को जमकर सपोर्ट कर रहे हैं. दरअसल, इसके पीछे भी एक ख़ास वजह है. 


अमेरिका का अपना स्वार्थ है जिस वजह से वह यूक्रेन का ममद करने हेतु तत्पर हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर एक छोटे से देश यूक्रेन में ऐसा क्‍या है जो हर कोई इसके समर्थन में खड़ा है. इसका जवाब है उस टाइटेनियम का विशाल खजाना जो यूक्रेन में छिपा है. 


दरअसल, टाइटेनियम एक ऐसा धातु होता है जिसका उपयोग मुख्य रूप से एयरोस्पेस उद्योग में किया जाता है. यानी इसका प्रयोग एडवांस्‍ड मिलिट्री उपकरण जैसे फाइटर जेट्स, हेलीकॉप्‍टर्स, नौसेना के जहाज, टैंक, लंबी दूरी की मिसाइलें और बाकी हथियारों को बनाने में किया जाता है. और यही धातु यूक्रेन में भारी मात्रा में मौजूद है जिसपर अमेरिका की नजर है. 


अमेरिका की नजर क्यों है


दरअसल, अमेरिका को इस बात का डर है कि रूस यूक्रेन पर कब्ज़ा कर उस खजाने को पा लेगा. जिसके बाद वह दुनिया का सबसे ताकतवर देश बन जाएगा. वहीं अगर यूक्रेन जंग में हारता नहीं है तब अमेरिका और उसके साथी देश यूक्रेन से टाइटेनियम की खेप लेकर अपनी सैन्य ताकत को और मजबूत कर पाएंगे. 


अमेरिका का डर 


बता दें कि अमेरिका के पास राष्‍ट्रीय रक्षा भंडार में अब टाइटेनियम नहीं है और साल 2020 में आखिर घरेलू उत्‍पादक भी बंद हो गया था. वहीं यूक्रेन दुनिया के उन सात देशों में है जो टाइटेनियम के टुकड़ों का भंडार है जिससे टाइटेनियम मेटल बनता है. ऐसे में अमेरिका के लिए यूक्रेन संजीवनी का काम करेगा. वहीं  रूस की बात करें को यह देश खुद उन साथ देशों में है जहां टाइटेनियम के टुकड़ों का भंडार है. मालूम हो कि हाल फिलहाल में रूस ने सीधे तौर पर अमेरिका को धमकी दे डाली है. अमेरिका को इस बात का डर है कि अगर रूस ने यूक्रेन पर कब्‍जा कर लिया तो फिर वह इसके निर्यात को भी बंद कर सकता है. 


कहां-कहां है टाइटेनियम के टुकड़ों का भंडार


यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक पिछले साल वैश्विक टाइटेनियम उत्पादन 2,10,000 टन था, जिसमें चीन का 57 प्रतिशत हिस्सा था. जापान 17 फीसदी के साथ दूसरे और रूस 13 फीसदी के साथ तीसरे स्थान पर था. पिछले साल कजाखस्तान ने 16,000 टन और यूक्रेन ने 3,700 टन का उत्पादन किया था. 


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