Russia Ukraine Conflict: यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से अमेरिका, उसके सहयोगी देश और अन्य संगठनों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं. इसी कड़ी में अधिकतर देशों ने रूसी ऑयल और गैस की खरीद पर भी बैन लगा रखा है. कई देश चाहकर भी अमेरिका के दबाव में रूस से ऑयल डील नहीं कर पा रहे हैं. इन सबके बीच यूएई के ऊर्जा मंत्री सुहैल अल-मजरोई ने सोमवार को कहा कि रूसी ऑयल एनर्जी मार्केट की जरूरत है और कोई भी दूसरा उत्पादक इसकी जगह नहीं ले सकता है.


ओपेक+ देशों को साथ रहने की जरूरत


उन्होंने एक उद्योग कार्यक्रम में कहा कि ओपेक+ देशों को इस समय एक साथ रहने, ध्यान केंद्रित रहने की जरूरत है ताकि कोई भी राजनीतिक समूह या निर्णय इस समूह को विचलित या तोड़ न सके.


इसलिए रूस का विकल्प नहीं


दरअसल, रूस वैश्विक ऊर्जा बाजारों में एक प्रमुख खिलाड़ी है. 2021 में  रूसी कच्चे तेल और घनीभूत उत्पादन 10.5 मिलियन बैरल प्रति दिन (बीपीडी) तक पहुंच गया था, जो दुनिया की कुल आपूर्ति का 14% है. 2021 में रूस ने दुनिया भर के देशों को अनुमानित 4.7 मिलियन बीपीडी कच्चे तेल का निर्यात किया था. चीन रूसी कच्चे तेल (1.6 मिलियन बीपीडी) का सबसे बड़ा आयातक है, लेकिन रूस यूरोप को 2.4 मिलियन बीपीडी कच्चा तेल निर्यात करता है.


एशिया और यूरोप दोनों जगह पहुंच


रूस के पास व्यापक क्रूड निर्यात पाइपलाइन क्षमता है, जिससे वह बड़ी मात्रा में कच्चे तेल को सीधे यूरोप और एशिया में भेज सकता है. दुनिया का सबसे लंबा पाइपलाइन नेटवर्क जिसकी लंबाई करीब 5,500 किलोमीटर है रूस के पास ही है. यह द्रुज़बा पाइपलाइन सिस्टम 750,000 बीपीडी कच्चे तेल को सीधे पूर्वी और मध्य यूरोप में रिफाइनरी तक पहुंचा सकता है. यही वजह है कि रूस के कच्चे तेल का विकल्प मुश्किल है.


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