रूस और यूक्रेन के बीच जंग 41वें दिन भी जंग जारी है. इस बीच यूक्रेन के बूचा शहर नरसंहार पर रूस की बड़ी घेराबंदी की जा रही है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से रूस को सस्पेंड करने के अमेरिका के प्रस्ताव को लेकर आज वोटिंग हो सकती है. बूचा शहर में भीषण नरसंहार और शवों के ढेर मिलने की खबर के बाद अमेरिका समेत कई देशों ने रूस की कड़ी आलोचना की है. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने सोमवार को कहा कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार परिषद से रूस का निलंबन चाहता है, क्योंकि रूसी सैनिकों ने यूक्रेन में युद्ध अपराध किए हैं. थॉमस-ग्रीनफील्ड ने यूक्रेन की राजधानी कीव के पास बूचा शहर में आम लोगों के खिलाफ हिंसा के बारे में आई खबर के मद्देनजर मानवाधिकार परिषद में रूस से उसकी सीट छीनने की वकालत की.


बूचा नरसंहार पर रूस की घेराबंदी


यूक्रेन में निर्दोष नागरिकों के खिलाफ सामूहिक हिंसा की खबरें सामने आने के बाद रूस के खिलाफ काफी आक्रोश जताया जा रहा है. रूसी सैनिकों पर बूचा के कब्जे के दौरान करीब सैकड़ों नागरिकों की हत्या करने का आरोप है. राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने रविवार को सोशल मीडिया पर शवों की तस्वीरें पोस्ट की थी और रूसी सैनिकों को कसाई तक बताया था. सैटेलाइट इमेज में बूचा में खोदी गई एक सामूहिक कब्र भी दिखाई दे रही है. रूस के विदेश मंत्रालय ने रविवार को दावा किया कि उसके सैनिकों पर लगाए जा रहे आरोप सही नहीं हैं. 


'रूस का काम मानवाधिकार परिषद और यूएन की साख को आहत करता है'


संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड का कहना है कि मानवाधिकार परिषद में रूस की भागीदारी एक तमाशा है. यह परिषद और संयुक्त राष्ट्र की साख को आहत करता है. अधिकारों के उल्लंघन के लिए देश को निलंबित करने के लिए रूस को परिषद में अपनी सीट से दो-तिहाई वोट से हटाया जा सकता है. उधर जर्मनी भी रूसी सैनिकों के कार्यों से काफी नाराज है. जर्मनी ने रूस के 40 राजनयिकों को निकाल दिया है.


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