Russia Ukraine War: यूक्रेन पर रूसी हमलों का आज नौवां दिन है. रूसी सेना पूरी ताकत से यूक्रेन के शहरों पर हमला कर रही है, जिसके हर ओर आलोचना हो रही है. जैसे जैसे जंग बढ़ती जा रही है, वैसे वैसे दुनिया के कई देश रूस पर प्रतिबंध लगाते जा रहे हैं. जंग की शुरूआत होने पर अमेरिका और ब्रिटेन जैसे कई देशों ने रूस पर राजनयिक और आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए. इस रिपोर्ट में जानिए आखिर किसी देश की ओर से दूसरे देश पर प्रतिबंध लगाने का क्या मतलब होता है, क्या ये कारगर होते हैं, क्या ये रूस को यूक्रेन पर हमला करने से रोक सकते हैं, क्या इनका कोई अर्थपूर्ण प्रभाव होता है?
प्रतिबंध क्या है?
यूक्रेन के खिलाफ रूस के हमलों का जवाब देने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया देने का सबसे प्रमुख तरीका प्रतिबंधों को पारित करना है. प्रतिबंध ऐसे कठोर कदम हैं, जो देशों के बीच राजनयिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों पर लागू होता हैं. ये आमतौर पर सैन्य प्रकृति के नहीं होते और एक देश द्वारा दूसरे देश के खिलाफ (एकतरफा प्रतिबंध) या संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन (सामूहिक प्रतिबंध) की ओर से लगाए जाते हैं. ये प्रतिबंध समग्र रूप से या व्यापार को निशाना बनाकर लगाए जाते हैं.
आर्थिक प्रतिबंध कैसे काम करते हैं?
आर्थिक प्रतिबंध बहुआयामी होते हैं. इनमें यात्रा प्रतिबंध और वित्तीय प्रतिबंध भी शामिल होते हैं. वित्तीय प्रतिबंधों के तहत सम्पत्तियों को फ्रीज किया जाता है और वित्तीय बाजार और सेवाओं पर विभिन्न प्रतिबंध लगाए जाते हैं.
क्या आर्थिक प्रतिबंध प्रभावी होते हैं?
ये प्रभावी हो सकते हैं. जिन लोगों और प्रतिष्ठानों पर प्रतिबंध लगाया जाता है, उन पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. बहरहाल, आर्थिक प्रतिबंधों की सामान्य प्रभावशीलता अनिश्चित है. ‘यूनिवर्सिटी ऑफ मेम्फिस’ में प्रतिबंध विशेषज्ञ डुरसुन पेकसेन के अनुसार, आर्थिक प्रतिबंधों से करीब 40 प्रतिशत मामलों में लक्षित देशों के व्यवहार में अर्थपूर्ण बदलाव आता है, लेकिन अमेरिका सरकार के एक हालिया अध्ययन के अनुसार, यह पता करना असंभव है कि इन प्रतिबंधों से कितना प्रभाव पड़ता है.
उदाहरण के लिए, जिस देश या व्यक्ति पर प्रतिबंध लगाए जाते हैं, वह कई कारण से अपने व्यवहार में बदलाव करने का फैसला कर सकता है. इनमें कुछ बदलावों का प्रतिबंधों से संभवत: कोई लेना देना नहीं होता.
रूस पर अब कौन से प्रतिबंध लागू हैं?
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने रूस पर एकतरफा और सामूहिक रूप से कई आर्थिक और राजनयिक प्रतिबंध लगाए हैं. अमेरिका और ब्रिटेन ने रूस के दो सबसे बड़े बैंकों सबरबैंक और वीटीबी बैंक पर एकतरफा प्रतिबंध लगाए हैं. उन्होंने रूस के अहम कुलीन वर्गों पर यात्रा प्रतिबंध लगाए हैं और उनकी संपत्तियां फ्रीज कर दी हैं. कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने भी ऐसा किया है.
जर्मनी ने भी नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन परियोजना को रोकने का संकेत दिया है. पोलैंड, चेक गणराज्य, बुल्गारिया और एस्तोनिया ने रूसी विमानन कंपनियों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया है. रूस की ओर से वीटो का इस्तेमाल किए जाने के कारण संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद कोई प्रतिबंध लागू नहीं कर पाएगा, लेकिन यूरोपीय संघ ने रूस के कई लोगों और प्रतिष्ठानों पर यात्रा और वित्तीय प्रतिबंध लगा दिए हैं.
यूरोपीय संघ के प्रतिबंध 555 रूसी व्यक्तियों और 52 संस्थाओं पर लागू होते हैं. इनमें रूसी स्टेट ड्यूमा के वे 351 सदस्य भी शामिल हैं, जिन्होंने यूक्रेन के खिलाफ आक्रामकता का समर्थन किया है. अमेरिका और ब्रिटेन के साथ मिलकर ईयू ने रूस के चुनिंदा बैंकों को स्विफ्ट बैंकिंग प्रणाली से अलग करने पर सहमति जताई है. इसके अलावा, रूस पर कई राजनयिक प्रतिबंध भी लगाए गए हैं.
क्या इन प्रतिबंधों का कोई अर्थपूर्ण प्रभाव पड़ेगा?
अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन लघुकाल में इन प्रतिबंधों का कोई प्रभाव संभवत: नहीं होगा. जो एकतरफा और सामूहिक प्रतिबंध लगाए गए हैं, वे व्यापक हैं. इन्हें तेजी से लागू किया गया है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई लावरोव को व्यक्तिगत रूप से लक्षित करना अभूतपूर्व है, लेकिन इन प्रतिबंधों को लागू करने में कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं. उदाहरण के तौर पर स्विट्जरलैंड ने यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों को समर्थन दिया है, लेकिन यूरोपीय संघ, अमेरिका और अन्य देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की सूची में शामिल व्यक्तियों की संपत्ति फ्रीज करने संबंधी प्रतिबंध लागू करने से वह कतरा रहा है. ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के एक विश्लेषण के अनुसार, चिंता का एक विषय यह भी है कि रूसी कंपनियां क्रिप्टोकरंसी उपकरणों का रुख करके प्रतिबंधों से बच सकती हैं.
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