रूस और यूक्रेन के बीच भीषण जंग छिड़ी हुई है. व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) की ओर से यूक्रेन पर हमले किए जाने के बाद वैश्विक स्तर पर शांति भंग होने को लेकर चिंता बढ़ गई है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अशांति और अस्थिरता की आशंका जताई जा रही है. दो देशों के बीच जारी जंग में बड़ी शक्तियों के बीच भी मतभेद काफी बढ़ गए हैं. परमाणु युद्ध को लेकर भी एक तरह से खतरा मंडरा रहा है. यूरोप में तीसरे वर्ल्ड वॉर (Third World War) के हालात पैदा होते दिखाई दे रहे हैं. यूक्रेन और रूस के बीच विवाद की असली जड़ को भी समझना जरूरी है. दरअसल, साल 1991 में यूक्रेन ने सोवियत संघ से स्वतंत्रता की घोषणा की थी. यूक्रेन अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य संगठन नाटो (NATO) में शामिल होना चाहता है लेकिन रूस को ये बात पसंद नहीं है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ये नहीं चाहते हैं कि यूक्रेन नाटो की विस्तार योजना में शामिल हो.
नाटो की विस्तार योजना का रूस कर रहा है विरोध
यूक्रेन भी कभी पूर्व के सोवियत संघ का ही हिस्सा था. यूक्रेन की सीमा पश्चिम यूरोप और पूर्व में रूस से मिलती है. यूक्रेन की पश्चिमी देशों से नजदीकी है जो रूस को नहीं भाती है. रूस और यूक्रेन के बीच खासकर तनाव साल 2013 में बढ़ गया. यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच का देश की राजधानी कीव में जमकर विरोध हुआ था और फिल साल 2014 में उन्हें देश छोड़कर जाना पड़ा था. यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर को उस समय रूस का भी समर्थन था लेकिन उन्हें अमेरिका और ब्रिटेन की वजह से देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था. रूस ने क्रीमिया पर कब्जा जमाने के बाद वहां के अलगाववादियों को समर्थन देना शुरू किया. यूक्रेन की सेना और अलगाववादियों के बीच कई सालों से टकराव की स्थिति है.
यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं होने देना चाहते हैं पुतिन
पश्चिमी देशों ने यूक्रेन में अलगाववादियों के साथ तनाव को रोकने के लिए संघर्ष विराम और शांति कायम करने की पहल भी की लेकिन इसमें उतनी सफलता नहीं मिल पाई. यूक्रेन ने नाटो देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए और नाटो की सदस्यता को लेकर कोशिशें तेज कर दी. लेकिन रूस ये चाहता है कि यूक्रेन नाटो का हिस्सा न बने और इस बात के लिए वो अमेरिका और नाटो से गारंटी भी चाहता है लेकिन अमेरिका के इनकार करने के बाद तनाव और बढ़ गया. अमेरिका समेत कई देशों ने रूस और यूक्रेन में अलगावादी वाले प्रांतों के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाए.
अमेरिका और ब्रिटेन समेत विश्व के 30 देश नाटो (NATO) के मेंबर हैं और नाटो इसमें और देशों को जोड़ना चाहता है जिसमें यूक्रेन भी शामिल है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन नाटो की विस्तार योजना को रोकने के लिए अमेरिका और पश्चिमी देशों पर लगातार दबाव बना रहे थे. फिलहाल यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका ने रूस के खिलाफ और कई प्रतिबंध लगाए हैं और पुतिन को अपने गलत फैसले के लिए परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहने को कहा है.
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