रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है. दुनिया के कई देशों ने यूक्रेन में हमले के खिलाफ रूस पर कई प्रतिबंध पहले ही लगा चुके हैं. वहीं रूस से तेल खरीदने या न खरीदने को लेकर भी दुनिया में चर्चा जारी है. यूक्रेन पर आक्रमण के बाद ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा और अमेरिका ने रूसी तेल खरीद पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन यूरोपीय संघ के 27 सदस्य प्रतिबंध पर सहमत होने में असमर्थ रहे हैं. यूरोपीय संघ की बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश जर्मनी भी रूसी तेल पर अपनी निर्भरता को अगले कुछ दिनों में आधा करने का टारगेट है.


इस साल के अंत तक जर्मनी रूस से तेल खरीदना बंद भी कर सकता है. यूरोप में कई खरीदारों ने प्रतिष्ठा के नुकसान से बचने के लिए अपनी इच्छा से रूसी कच्चे तेल की खरीद बंद कर दी है. न्यूज एजेंसी रॉयटर के मुताबिक प्रमुख वैश्विक व्यापारिक घराने रूस की स्टेट नियंत्रित तेल कंपनियों से कच्चे और ईंधन की खरीद को कम करने की योजना बना रहे हैं. 


भारत और चीन खरीद रहे हैं रूस से क्रूड ऑयल


यूक्रेन में जारी जंग के बीच चीन और भारत ने सीधे तौर से रूस के हमलों की निंदा नहीं की है. हालांकि जंग को खत्म करने की पहल जरूर की है. चीन और भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखा है. भारत जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है, 24 फरवरी के आक्रमण के बाद से कम से कम 16 मिलियन बैरल रूसी तेल बुक किया है. जानकारी के मुताबिक लगभग इतना ही तेल भारत ने साल 2021 में भी खरीदा था. भारतीय राज्य द्वारा संचालित रिफाइनरी कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्प लिमिटेड ने व्यापारी ट्रैफिगुरा से मई लोडिंग के लिए 2 मिलियन बैरल रूसी तेल खरीदा हैं


हिंदुस्तान पेट्रोलियम


व्यापारिक सूत्रों के मुताबिक पिछले हफ्ते भारत के राज्य रिफाइनर हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने मई महीने के लिए 2 मिलियन बैरल रूसी तेल की खरीद की है.


इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन


भारत की शीर्ष रिफाइनर कंपनी ने 24 फरवरी से 60 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद की है. 2022 में 15 मिलियन बैरल रूसी कच्चे तेल के लिए रोसनेफ्ट के साथ आपूर्ति अनुबंध किया है. रिफाइनर, जो चेन्नई पेट्रोलियम सहायक की ओर से कच्चे तेल भी खरीदता है.


नायरा एनर्जी


रोसनेफ्ट के आंशिक स्वामित्व वाली भारतीय निजी पेट्रोलियम कंपनी ने एक साल के अंतराल के बाद रूसी तेल खरीदा है, ट्रेडर ट्रैफिगुरा से लगभग 1.8 मिलियन बैरल कच्चा तेल खरीदा है.


हेलेनिक पेट्रोलियम


ग्रीस की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी अपनी खपत का लगभग 15 फीसदी रूसी क्रूड ऑयल पर निर्भर करती है. कंपनी ने इस महीने की शुरुआत में सऊदी अरब से अतिरिक्त आपूर्ति हासिल की थी.


मिरो (MIRO)


जर्मनी की सबसे बड़ी रिफाइनरी कंपनी मिरो में रूसी कच्चे तेल की खपत का लगभग 14 फीसदी % हिस्सा है, जो कि रोसनेफ्ट के स्वामित्व में 24 फीसदी है. 


मोल (MOL)


हंगरी रूसी तेल और गैस पर प्रतिबंधों का विरोध कर रहा है. हंगेरियन ऑयल ग्रुप, जो क्रोएशिया, हंगरी और स्लोवाकिया में 3 रिफाइनरियों का संचालन करता है. ड्रुज़बा पाइपलाइन के जरिए रूसी क्रूड ऑयल खरीदना जारी रखा है. साथ ही ये पेट्रोलियम उत्पाद भी खरीद रहा है.


पीकेएन ऑरलेन (PKN Orlen)


ये पोलैंड के सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी है. ये कंपनी उत्तरी सागर के तेल पर स्विच करते हुए हाजिर बाजार में रूसी कच्चे तेल की खरीद बंद कर दी है, लेकिन अभी भी पहले से हस्ताक्षरित अनुबंधों के तहत तेल खरीद रही है जो इस साल के अंत या बाद में समाप्त हो रहे हैं. कंपनी लिथुआनिया, पोलैंड और चेक गणराज्य में रिफाइनरी का संचालन करती है.


कंपनियां जिसने रूस से तेल खरीदना किया बंद


बीपी (BP)


ब्रिटिश पेट्रोलियम कंपनी रोसनेफ्ट में अपनी हिस्सेदारी छोड़ रहा है. कंपनी रूसी बंदरगाहों पर लोडिंग के लिए रूसी संस्थाओं के साथ नए सौदे नहीं करेगी.


एनीओस (ENEOS)


जापान की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी ने रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद कर दिया है. हालांकि पिछले समझौतों के तहत हस्ताक्षरित कुछ कार्गो इस महीने में जापान पहुंचेंगे. कंपनी की योजना मध्य पूर्व से वैकल्पिक आपूर्ति के स्रोत तलाशने की है.


गल्प (GALP)


पुर्तगाली तेल और गैस कंपनी ने रूस या रूसी कंपनियों से पेट्रोलियम उत्पादों की सभी नई खरीद को सस्पेंड कर दिया है.


इसके अलावा इतालवी सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी ENI रूसी तेल की खरीद को बंद कर रहा है. वहीं जर्मनी की Bayernoil Refinery में रूसी क्रूड ऑयल का इस्तेमाल बंद कर दिया गया है.


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