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Russian Coup: रूस में पहले भी हुई हैं तख्ता-पलट की कोशिशें, जानिए उन देशों को जहां गिरा दी गईं सरकारें, 'फौज' ने हथिया ली सत्‍ता

Russia दुनिया का सबसे बड़ा देश है, वहां राष्‍ट्रपति व्‍लादिमिर पुतिन का साथ देने वाली एक प्राइवेट आर्मी वैगनर ने बगावत कर दी. वैगनर ने तख्तापलट करने की ठानी. ऐसी कोशिशें वहां पहले भी हो चुकी हैं.

Russia Wagner Conflict: दुनिया के सबसे बड़े देश रूस (Russia) में तख्ता-पलट की कोशिश की गई. रूस की ओर से यूक्रेन में लड़ाई लड़ने वाले वैगनर ग्रुप (Wagner Amry) ने रूसी सत्‍ता के खिलाफ ही विद्रोह कर दिया. वैगनर आर्मी के चीफ येवगेनी प्रिगोझिन ने अपने हजारों लड़ाकों के साथ कल, 24 जून को रूस की राजधानी मॉस्को की ओर कूच किया. वैगनर आर्मी वही मिलिट्री ग्रुप है, जिन्‍हें भाड़े के सैनिक कहा जाता है. अमेरिकी खुफिया विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, वैगनर ग्रुप के प्रिगोझिन 'काफी समय' से हथियारों और गोला-बारूद सहित रूस के नेतृत्व को चुनौती देने की योजना बना रहे थे. हालांकि, तख्ता-पलट (Coup d'état) की ये कोशिश अब नाकाम कर दी गई है. और, प्रिगोझिन के रूस से भागने की खबरें आ रही हैं.

येवगेनी प्रिगोझिन के पुतिन से बगावत करने और रूस में तख्तापलट की कोशिश को विदेश मामलों के जानकार अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर की बड़ी घटना मान रहे हैं, क्‍योंकि येवगेनी प्रिगोझिन की वैगनर आर्मी के पास हजारों लड़ाके  हैं, और अब तक वे रूस और यूक्रेन की जंग में रूसी सत्‍ता का साथ दे रहे थे. वैगनर के लड़ाकों ने यूक्रेन के कई शहरों पर कब्‍जा करने में कामयाबी पाई थी. हालांकि, बीते रोज वैगनर की ओर से जब ये दावा किया गया कि वे रूसी सत्‍ता के खिलाफ लड़ेंगे, तो रूस में तहलका मच गया. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि वैगनर ने कल रूस के दो शहरों पर कब्जा भी कर लिया. ये शहर राजधानी मॉस्को से 360 किमी दूर थे.

रूस में पहले भी हो चुकी हैं तख्ता-पलट की कोशिश
बता दें कि रूस में इससे पहले भी तख्ता-पलट की कई बार कोशिशें हो चुकी हैं. वहां 1989 में बर्लिन वॉल गिरने के बाद दो बार तख्तापलट की कोशिश की गई. दरअसल, 1989 में बर्लिन की दीवार गिराए जाने के पीछे वजह यही थी कि सोवियत संघ (यूएसएसआर) कमजोर हो रहा था. उसमें शामिल 15 गणराज्य अपनी आजादी मांग रहे थे. तब तत्कालीन राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव को तख्तापलट की कोशिश का सामना करना पड़ा. 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया, और रूस से अलग 14 देश और बन गए.

रूस की तरह इन देशों में भी बगावत 
रूस के अलावा दुनिया के कई देश ऐसे हैं, जहां एक छोटे-से सैन्‍य समूह द्वारा सहसा की गयी कार्रवाई द्वारा किसी सरकार को असंवैधानिक तरीके से हटाकर नयी असैनिक या सैनिक सरकार बना ली गई. पाकिस्‍तान में तख्तापलट का लंबा इतिहास रहा है, और यही वजह है कि वहां बरसों तक मुल्‍क की बागडोर सेना के हाथों में रही. मुशर्रफ तख्तापलट करके ही खुद सत्‍ता में आ गए थे और राष्‍ट्रपति बन गए थे.

पाकिस्‍तान के मित्र देश तुर्किये (तुर्की) में भी बीते सालों में तख्ता पलट की कोशिश हुई थी, जिसे नाकाम कर दिया गया था. ऐसा ही मिस्र में भी हुआ था. मिस्र का तख्तापलट 3 जुलाई 2013 को हुआ था. मिस्र के सेना प्रमुख जनरल अब्देल फतेह अल-सिसी ने मिस्र के लोकतांत्रिक रूप से चुने गए राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को सत्‍ता से हटा दिया.

पाकिस्‍तान में बार-बार हुआ तख्ता-पलट
पाकिस्तान में पहला सन् 1958 में हुआ था, जब वहां के पहले राष्ट्रपति मेजर जनरल इसकंदर मिर्जा ने पाकिस्तानी संसद और प्रधानमंत्री फिरोज खान नून की सरकार को भंग कर दिया था. इसके साथ ही उन्होंने देश में मार्शल लॉ लागू कर आर्मी कमांडर इन चीफ जनरल अयूब खान को देश की बागडोर सौंप दी थी. 4 जून 1977 को वहां आर्मी चीफ जनरल जिया उल हक द्वारा तख्तापलट किया गया था. उसके बाद जब 1999 में पाकिस्‍तान भारत से युद्ध हारा, तब भी वहां तख्ता-पलट की कोशिशें हुईं.

म्यांमार में तख्तापलट, लोकतांत्रिक सरकार को उखाड़ा
पाकिस्‍तान की तरह भारत के एक और पड़ोसी देश म्यांमार में तख्तापलट हुआ था. वहां फरवरी 2021 में सेना ने लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार का तख्तापलट कर सत्ता पर कब्जा कर लिया था. तब से देश में हजारों लोगों को गिरफ्तार कर जेल में बंद किया जाता रहा है. 

अफ्रीका के सबसे बड़े देश सूडान में तख्तापलट
अक्‍टूबर 2021 में सूडान की सेना ने वहां के प्रधानमंत्री को गिरफ्तार कर, उनकी कार्यवाहक सरकार को बर्खास्त कर दिया और सत्ता पर कब्जा कर लिया. इस तख्तापलट की अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने निंदा की. मगर, तख्तापलट नाकाम नहीं हो पाया. अफ्रीकी देश बुरकिना फासो के पड़ोसी देशों माली और गिनी में भी तख्तापलट हुए हैं.

चिली में सेना ने राष्ट्रपति को ही मार डाला था
दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के देश चिली में 11 सितंबर, 1973 को सेना ने तख्तापलट कर दिया था. तब राष्ट्रपति आयेंदे की सरकार गिराकर, जनरल आगस्तो पिनोशे चिली के राष्ट्रपति बने बने. फ़ौज ने राष्ट्रपति आयेंदे के निवास को घेर लिया था और बम बरसाये. हमले में राष्ट्रपति आयेंदे की मौत हो गई थी.

यह भी पढ़ें: रूस में बगावत करने वाली वैगनर आर्मी अब मॉस्‍को से वापस लौट रही, येवगेनी प्रिगोझिन बोले- यूक्रेन में जारी रहेगी जंग

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