रूस कब इस्तेमाल करेगा परमाणु हथियार? सरकारी प्रवक्ता ने दिया जवाब
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने मंगलवार को एक साक्षात्कार में सीएनएन को बताया कि रूस की सुरक्षा नीति तय करती है कि देश केवल तभी परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा जब उसके अस्तित्व को खतरा हो.
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने मंगलवार को एक साक्षात्कार में सीएनएन को बताया कि रूस की सुरक्षा नीति तय करती है कि देश केवल तभी परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा जब उसके अस्तित्व को खतरा हो. रूस द्वारा यूक्रेन में अपनी सेना भेजने के लगभग चार सप्ताह बाद ऐसे समय में यह टिप्पणी आई है, जब पश्चिमी देश इस पर पर चिंता जता रहे हैं कि रूस इस संघर्ष को परमाणु युद्ध में बदल सकता है. पेसकोव ने साक्षात्कार में यह बात तब कही जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें विश्वास है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेंगे?
उन्होंने कहा, "हम घरेलू सुरक्षा की अवधारणा रखते हैं और यह सार्वजनिक है, आप परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के सभी कारणों को पढ़ सकते हैं. इसलिए यदि हमारे देश के अस्तित्व के लिए खतरा होगा, तो इसका (परमाणु हथियार) हमारी अवधारणा के अनुसार उपयोग किया जा सकता है." उन्होंने देश की सुरक्षा अवधारणा के एक और संदर्भ में कहा, "उसमें कोई अन्य कारण उल्लिखित नहीं हैं." बता दें कि पुतिन ने पिछले महीने रूस के परमाणु बलों को हाई अलर्ट पर रखने का आदेश दिया था.
इंटरफैक्स समाचार एजेंसी ने रिपोर्ट किया था कि आदेश के अनुरूप रूस के रक्षा मंत्रालय ने 28 फरवरी को कहा कि उसके परमाणु मिसाइल बलों और उत्तरी तथा पैसिफिक फ्लीट को तैयार रखा गया है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने 14 मार्च को कहा, "परमाणु संघर्ष की संभावना, जो कभी अकल्पनीय थी, अब संभावना के दायरे में वापस आ गई है."
यह युद्ध अजेय है: संरा प्रमुख
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के एक महीने बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने मंगलवार को कहा कि यह “बेतुका” युद्ध “अजेय” है और अनिवार्य रूप से इसे युद्ध के मैदान से शांति की मेज पर ले जाना होगा. इसके साथ ही उन्होंने चिंता व्यक्त की कि इस संघर्ष से भूख के वैश्विक संकट की प्रतिध्वनि सुनाई दे रही है.
गुतारेस ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि एक करोड़ यूक्रेनी लोग अपने घरों से पलायन को मजबूर हो गए हैं अन्यत्र जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि दुनिया यूक्रेन के शहरों, कस्बों और गांवों में भयानक मानवीय पीड़ा और विनाश देख रही है.
यह भी पढ़ें-