India Russia Relations: हाल ही में स्टॉकहोम की संस्था सिप्री ने खुलासा किया था कि भारत से रूस के साथ हथियार आयात में गिरावट दर्ज की गई है. इससे अमेरिका और फ्रांस को फायदा हुआ है. भारत ने रूस के बाजार को छोड़कर इन दोनों देशों की तरफ अपना रुझान बढ़ाया है. सिप्री के इस बयान के बाद रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने अपनी बात कही है. अलीपोव कहना है भारतीय सेना में 50 फीसदी हथियार रूस के हैं.
रूसी राजदूत के मुताबिक भारत द्वारा अबतक 1000 T90 टैंकों और 300 सुखोई 30 एमकेआई फाइटर जेट का निर्माण लाइसेंस के तहत किया गया है. उन्होंने सिप्री की रिपोर्ट को गलत बताया है. रिपोर्ट में बताया गया था कि पिछले 40 सालों में यह पहली बार हुआ है जब भारतीय हथियार बाजारों में रूस की भागीदारी 14 फीसदी घटकर 36 फीसद रह गई है. ये 50 फीसद से आंकड़ा गिरकर निचे आ गया है.
डेनिस अलीपोव के अनुसार सिप्री का आंकड़ा तोड़ मड़ोकर पेश किया गया है. मौजूदा समय में भारत अपने रक्षा सेक्टर को विकसित करने में जुटा हुआ है. भारत मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत आत्मनिर्भर भारत पर काम कर रहा है. इस कार्यक्रम के तहत भारत अपने स्थानीय निर्माण को बढ़ावा देने के साथ-साथ नवीनतम तकनीक को पाना चाहता है. इस कड़ी में रूस का अपने सहयोगी देशों में अहम योगदान है.
सिप्री की रिपोर्ट में बताया गया था कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी लड़ाई में रूस के हथियारों का जखीरा खत्म हो रहा है. इसके अलावा उसके हथियार निर्यात का कारोबार भी गिर रहा है. हाल यह है कि वह हथियार निर्यात के मामले में दूसरे नंबर से एक स्थान निचे खिंसकते हुए तीसरे स्थान पर पहुंच गया है. पहले स्थान पर अमेरिका मजबूती के साथ बना हुआ है, जबकि दूसरे स्थान पर फ्रांस आ गया है.