Fighter Jet MiG-35: रूसी लड़ाकू विमानों को मौजूदा समय में एक भी खरीददार नहीं मिल रहे हैं. रूस में निर्मित मिग-35 की अभी तक एक भी यूनिट नहीं बिक सकी है. दूसरी तरफ पश्चिमी देशों में बन रहे विमानों की भारी डिमांड है. फ्रांस निर्मित राफेल विमान के लिए वेटिंग 3 साल से ऊपर जा चुकी है, वहीं अमेरिकी फाइटर जेट एफ-16, एफ-18 और एफ-35 को पाने के लिए भी लंबी लाइन है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर रूसी विमानों को क्या हो गया है, जबकि एक समय में रूसी विमान पूरी दुनिया पर राज करते थे. 


सोवियत युग में बने रूसी फाइटर जेट मिग-29 की इस कदर मांग थी कि, इसकी 1600 से अधिक यूनिट बनाई गई. रूसी विमान मिग-29 को 40 से अधिक देशों ने खरीदा, लेकिन उसी के एडवांस वर्जन मिग-35 के लिए एक भी खरीददार नहीं पहुंचे. साल 2016 में मिग-35 विमान को रूसी वायुसेना में शामिल किया गया था, लेकिन अभी तक इसकी सिर्फ 8 यूनिट ही बनाई गई है. दूसरी तरफ मिग-29 दुनिया का पसंदीदा लड़ाकू विमान है, जो साल 1983 में सेवा देना शुरू किया और कई महत्वपूर्ण युद्धों में हिस्सा लिया. इस विमान का उत्पादन आज भी जारी है. 


भारतीय वायुसेना में शामिल है मिग-29
मिग-29 एक डबल इंजन वाला लड़ाकू विमान है, जिसे 1970 की दशक में एयर सुपीरियॉरिटी विमान के तौर पर विकसित किया गया था. मिग-29 को अमेरिकी लड़ाकू विमानों, F-15 'ईगल' और F-16 फाइटिंग फाल्कन से मुकाबला करने के लिए डिजाइन किया गया था. इस विमान को सोवियत सेना में साल 1983 में शामिल किया गया और यह साल 1987 में औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना में भी शामिल हो गया. यह विमान हवा में दूसरे विमानों को चकमा देने में माहिर है. यह दुश्मन के लड़ाकू विमानों से डॉग फाइट भी कर सकता है. 


मिग-35 का नहीं मिल रहा रडार
दूसरी तरफ मिग-35 शांत पड़ा है, माना जाता है कि इस विमान का असली दुश्मन मिग-29 ही है. दरअसल, मिग-35 लगभग मिग-29 जैसा ही है. जैसे अमेरिका अपने एफ-16 का नाम बदलकर एफ-21 कर दिया है, जबकि दोनों विमानों में कोई खास बदलाव नहीं किया गया. मौजूदा समय में रूस और यूक्रेन का युद्ध चल रहा है. ऐसे में पश्चिमी देशों ने रूस पर तमाम प्रतिबंद लगा दिए हैं. इसकी वजह से मिग-35 में लगने वाले कुछ कम्पोनेंट रूस को नहीं मिल पा रहे हैं, क्योंकि ये पश्चिमी देशों से आते थे. इन उपकरणों में AESA रडार भी शामिल है, जिसके बगैर मिग-29 विमान का कोई मतलब नहीं है. वहीं भारत और चीन के पास मिग-35 जैसे स्वदेशी विमान हैं. ऐसे में ये देश विदेशी विमान खरीदने से बच रहे हैं. 


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