Russia Moon Mission: रूसी स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस ने साल 1976 के बाद पहली बार चांद पर अपना मून मिशन भेजा है, यानी पूरे 47 सालों के बाद. रूस ने लूना -25 लैंडर को अमूर क्षेत्र में वोस्तोचन अंतरिक्ष बंदरगाह से सुबह 8:10 मिनट (स्थानीय समय) पर लॉन्च किया. AP की रिपोर्ट के मुताबिक रूसी वैज्ञानिकों का मानना है कि लूना-25 आने वाले 21 अगस्त तक चांद के साउथ पोल पर उतरेगा.


रूस ने लूना -25 लैंडर को सोयुज 2.1 बी रॉकेट से लॉन्च किया. इस रॉकेट के लंबाई करीब 46.3 मीटर है. इसका डायमीटर 10.3 मीटर है. इसका वजन 313 टन के करीब है. इस मिशन को लूना-ग्लोब मिशन भी कहते हैं.


चंद्रयान-3 से दो दिन पहले लैंड कर जाएगा
लूना-25 लैंडर को पूरी तरह से रूस में तैयार किया गया है. ये पहली बार है, जब रूस ने मून मिशन के लिए सारी तैयारी खुद की है. इससे पहले USSR सितंबर 1958 और अगस्त 1976 के बीच 24 लूना मिशन लॉन्च कर चुका है. वहीं अगर लूना-25 सफलतापूर्वक चांद पर उतरता है तो वो भारत के चंद्रयान-3 से दो दिन पहले लैंड कर जाएगा.






तीन देश ही चांद पर सफल लैंडिंग में कामयाब 
अब तक के इतिहास में केवल तीन देश ही चांद पर सफल लैंडिंग में कामयाब रही हैं. इनमें सोवियत संघ (USSR), अमेरिका और चीन. भारत और रूस ने चंद्रमा के साउथ पोल पर सबसे पहले उतरने का लक्ष्य रखा है.


रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने कहा कि वह यह दिखाना चाहती है कि रूस चंद्रमा पर पेलोड पहुंचाने में सक्षम है. रूस चांद की सतह तक पहुंचने की गारंटी देता है.


प्रतिबंधों की वजह से देरी
यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से उसका स्पेस प्रोग्राम प्रभावित हुआ है. विश्लेषकों का कहना है कि लूना-25 शुरू में एक छोटे मून रोवर को ले जाने के तैयार किया गया था. हालांकि, बाद में स्पेसक्राफ्ट के वजन को को कम करने का विचार छोड़ दिया गया.


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