Russia Ukraine War: 'यूक्रेन में शांति तभी मुमकिन है जब...', युद्ध को लेकर व्लादिमीर पुतिन ने बताई अपने मन की बात
Direct Line with Vladimir Putin: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने डायरेक्ट फोन लाइन पर देश के लोगों को बताया है कि यूक्रेन में शांति कब कायम होगी. रूस का लक्ष्य क्या रहने वाला है.
Russia Ukraine War: यूक्रेन के साथ जारी जंग के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देश के लोगों के सवालों का जवाब देते हुए बताया कि यूक्रेन में शांति कब कायम होगी. सालाना टेलीविजन प्रश्न और उत्तर सत्र के दौरान पुतिन ने कहा है कि यूक्रेन के साथ शांति तभी मुमकिन है, जब हम अपने मकसद को पूरा कर लेंगे.
गुरुवार (14 दिसंबर) को आयोजित कार्यक्रम में रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि यूक्रेन को लेकर उनके देश के लक्ष्यों में कोई बदलाव नहीं आया है और इनके हासिल होने तक शांति कायम नहीं होगी. उन्होंने आगे कहा कि रूस के लक्ष्यों में नाजीवाद का खात्मा, असैन्यकरण और देश की तटस्थ स्थिति स्थापित करना शामिल है.
बता दें कि रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को करीब दो साल होने वाले हैं, हालांकि यह जंग अभी थमती नहीं दिख रही है.
फोन लाइन पर पुतिन ने दिया जवाब
फरवरी, 2022 में यूक्रेन के खिलाफ जंग छेड़ने के बाद राष्ट्रपति पुतिन ने पहली बार किसी बड़े प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. इस दौरान पुतिन ने पत्रकारों के अलावा डायरेक्ट फोन लाइन पर रूसी लोगों के सवालों का सीधे जवाब दिया. पिछले साल पुतिन प्रशासन की तरफ से इस सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन नहीं किया था.
'डायरेक्ट लाइन विद व्लादिमीर पुतिन' नामक आयोजित इस कार्यक्रम में पुतिन ने देश की जनता को जानकारी देते हुए बताया कि फिलहाल लगभग 2,44,000 रूसी सैनिक यूक्रेन में युद्ध लड़ रहे हैं. रूस की संप्रभुता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश का अस्तित्व इसके बिना नामुमकिन है. उन्होंने कहा कि युद्ध के समय के लिए रूस की अर्थव्यवस्था मजबूत है.
रूस की अर्थव्यवस्था पर बोले पुतिन
रूस की अर्थव्यवस्था पर बोलते हुए पुतिन ने कहा, "सबसे महत्वपूर्ण संकेतक आर्थिक विकास है. वर्ष के अंत तक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 3.5 फीसदी होने की उम्मीद है. यह एक अच्छा संकेतक है. इसका मतलब है कि हम पिछले साल की गिरावट से उबर गए हैं. युद्ध को लेकर उन्होंने ये भी दावा किया कि पिछले साल 3 लाख लोगों को सैन्य सेवा के लिए बुलाया गया था जबकि 4,86,000 लोग स्वैच्छिक रूप से सैन्य सेवा में योगदान के लिए आगे आए थे.