Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में कई भारतीय नागरिकों को जान का जोखिम उठाना पड़ रहा है. हाल ही में केरल के बिनिल टीबी (32) की मौत ने भारतीय समुदाय में गहरी चिंता पैदा कर दी है. वे और उनके संबंधी जैन टीके रूस की ओर से यूक्रेन में लड़ रहे थे. बिनिल की मृत्यु यूक्रेनी ड्रोन हमले में हुई जबकि जैन गंभीर रूप से घायल हो गए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा के दौरान राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वादा किया था कि यूक्रेन में लड़ रहे भारतीय सैनिकों को वापस भेजा जाएगा. हालांकि, यह वादा अभी तक पूरा नहीं हुआ है. बिनिल के मामले ने स्पष्ट कर दिया है कि रूस में भारतीय सैनिकों की स्थिति बहुत गंभीर है और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की गई है.
परिवारों की व्यथा और दूतावास की भूमिका
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बिनिल और जैन के परिवारों ने भारतीय दूतावास से सहायता की अपील की थी, लेकिन रूसी सेना की अनुमति के बिना कोई कार्रवाई नहीं हो सकी. बिनिल की पत्नी ने मास्को स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क किया, लेकिन जब तक सूचना मिली तब तक बिनिल की मौत हो चुकी थी. यह घटना उन परिवारों के ऊपर दुख का पहाड़ बनकर टूट पड़ा है.
रूस से भारतीयों की वापसी में बाधा
रूसी सेना भारतीय नागरिकों को वापस लौटने की अनुमति नहीं दे रही है. कई भारतीय नागरिक जो सपोर्ट स्टाफ के रूप में रूस गए थे, उन्हें युद्ध के मैदान पर भेज दिया गया है. यह स्पष्ट करता है कि भारतीय नागरिकों को धोखे से युद्ध में शामिल किया जा रहा है, जिससे उनकी जान का खतरा बढ़ गया है.
रूस की चेतावनी और तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका
रूस की ओर से जारी चेतावनियों ने वैश्विक तनाव को और बढ़ा दिया है. भारतीय नागरिकों के लिए यह स्थिति और भी कठिन हो गई है, क्योंकि वे युद्ध के बीच फंसे हुए हैं और मानसिक और शारीरिक रूप से थक चुके हैं. बिनिल के अंतिम संदेश ने इस कठिनाई को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया कि वे युद्ध क्षेत्र से बाहर निकलने की अपील कर रहे थे लेकिन कोई समाधान नहीं निकला.
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