S Jaishankar on China: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार (23 फरवरी) को कहा कि संतुलन पर पहुंचना और इसे बनाए रखना भारत-चीन संबंधों के लिए "सबसे बड़ी चुनौतियों" में से एक होने जा रहा है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद की वजह बीजिंग है और तय मानकों से हटने की वजह से तनाव पैदा हो रहा है.


नई दिल्ली में आयोजित रायसीना डायलॉग में एक इंटरेक्टिव सत्र के दौरान विदेश मंत्री ने चीन और भारत के संबंधों पर बात की. उन्होंने द्विपक्षीय ढांचे के तहत मुद्दों को सीमित करने के चीन के "माइंड गेम" के प्रति आगाह किया. विदेश मंत्री ने कहा कि भारत को दो देशों के संतुलन में बेहतर शर्तें पाने के लिए दुनिया के सभी अधिकारों का प्रयोग करना चाहिए


आर्थिक मुद्दे पर बोलते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि एक समय ऐसा आएगा जब चीनी अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी और भारत बढ़ रहा होगा. विदेश मंत्री ने गोल्डमैन सैक्स के अनुमानों का हवाला देते बताया कि 2075 तक दोनों देश 50 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकते हैं. जयशंकर ने कहा कि भारत को "सर्वोत्तम संभव परिणाम" पाने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रणाली का उपयोग करना चाहिए. 


चीन बदल रहा जगह
विदेश मंत्री से जब पूछा गया कि क्या चीन और भारत के बीच कोई समाधान बिंदु होगा और क्या दोनों देश संबंधों में संतुलन बना पाएंगे. तो उन्होंने कहा "यहां तात्कालिक मुद्दा यह है कि 1980 के दशक के अंत से हमारे बीच सीमा पर एक समझ थी. अब लगभग 30 वर्षों के बाद चीन जगह बदल रहा है. ऐसा करने पर हमारी ओर से धक्का-मुक्की हुई.'' उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि संतुलन पर पहुंचना, फिर उसे बनाए रखना और उसे ताज़ा करना दोनों देशों के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक होगी. यह आसान नहीं होने वाला है."


वीटो पावर और माइंड गेम को लेकर विदेश मंत्री ने कहा कि हमारे साथ चीन "माइंड गेम" भी खेलेगा, चीन कहेगा कि पूरा विवाद "सिर्फ हम दोनों के बीच" है. उन्होंने कहा, "अन्य 190 देश हमारे रिश्ते में मौजूद नहीं हैं. यह दिमागी खेल होगा जो खेला जाएगा. मुझे नहीं लगता कि हमें इसे खेलना चाहिए."


वीटो पावर को लेकर विदेश मंत्री ने क्या कहा?
विदेश मंत्री ने कहा कि चीन-भारत का संतुलन बनाने के लिए यदि दुनिया में और कारक हैं तो हमें उसका इस्तेमाल करना चाहिए. उन्होंने कहा "आज जब मैं कहता हूं कि अपने स्वयं के समाधान के बारे में सोचें, किसी अन्य देश को जो स्पष्ट रूप से हमारा प्रतिस्पर्धी है, उसे हमारी नीतियों पर वीटो न करने दें. दुर्भाग्य से बीते सालों में समय-समय पर ऐसा होता रहा है." 


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