रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को एक महीने से भी ज्यादा का समय हो गए. इस युद्ध की वजह से न सिर्फ बड़ी संख्या में लोग जान गवां चुके हैं बल्कि लाखों बेघर भी हो चुके हैं. रूस द्वारा युक्रेन पर किया जा रहा अटैक सिर्फ हवाई और जमीनी हमले तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह युद्ध साइबर स्पेस पर भी लड़ा जा रहा है.
बुधवार को एक सैटेलाइट के प्रबंधन की ओर से जानकारी दी गई कि जानबूझकर किए गए एक सॉफ्टवेयर कमांड ने यूरोप में हजारों मॉड्म्स को असक्षम कर दिया. इस वजह से यूक्रेन की सरकार और सेना द्वारा उपयोग किए जाने वाले सैटेलाइट नेटवर्क पर रूस द्वारा साइबर हमले की शुरुआत की की गई.
पोलैंड से लेकर फ्रांस तक यूजर्स हुए प्रभावित
अमेरिका बेस्ड वायसैट के मालिक ने बयान जारी कर बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध में सबसे गंभीर साइबर हमला कैसे किया गया. इस साइबर अटैक की वजह से पोलैंड से लेकर फ्रांस तक के यूजर्स प्रभावित हुए. इसके अलावा मध्य यूरोप में हजारों विंड टर्बाइन भी इस साइबर अटैक की वजह से प्रभावित हुए.
वायसैट ने यह जानकारी नहीं दी कि वो इस हमले के लिए किसे जिम्मेदार मानता है. हालांकि यूक्रेन के अधिकारी इसके लिए रूस के हैकर्स को जिम्मेदार मानते हैं. इस तरह के हमले की संभावना रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण की शुरुआत के समय ही की जताई जा रही थी.
खुफिया जानकारी जमा करना होता है मकसद
भले ही इस तरह के हमले अभी तक अमल में नहीं आए हैं, हालांकि सुरक्षा शोधकर्ताओं का कहना है कि सबसे प्रभावशाली युद्ध-संबंधी साइबर ऑपरेशन की आड़ में ही होने की संभावना है. ऐसे हमले खुफिया जानकारी जमा करने पर आधारित होते हैं.
बुधवार को गूगल की तरफ से कहा गया कि उसने एक रूस समर्थित हैकिंग ग्रुप की पहचान की है जो कई पूर्वी यूरोपीय देशों की सेनाओं और एक नाटो थिंक टैंक को टारगेट करने वाले क्रेडेंशियल-फ़िशिंग अभियान में शामिल है. उन्होंने कहा कि इन हमलों को लेकर यह स्पष्ट नहीं है कि कोई सफल हुआ भी या नहीं.
वायसैट ने कहा, "हम मानते हैं कि हमले का उद्देश्य सेवा को बाधित करना था." वायसैट ने आगे जानकारी दी कि इसने पूरे यूरोप में प्रभावित ग्राहकों को 30,000 रिप्लेसमेंट मोडेम भेज दिए हैं, जिनमें से अधिकांश आवासीय ब्रॉडबैंड इंटरनेट एक्सेस के लिए सेवा का उपयोग करते हैं.
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