Saudi Arabia-UAE Tension: सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच इन दिनों सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. दोनों देशों के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न होती नजर आ रही है. पिछले कुछ समय से दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष एक दूसरे का सामना करने से बच रहे हैं. लेकिन अब मामला लाल सागर में जहाजों पर हो रहे हमलों से जुड़ा हुआ है. 


दरअसल, ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में यमनी और सऊदी अधिकारियों का हवाला देते हुए दावा किया है कि यूएई हूती विद्रोहियों के ख़िलाफ़ सैन्य कार्रवाई का समर्थन करता है, जबकि सऊदी अरब को डर है कि इस तरह का तनाव हूतियों के साथ युद्धविराम की कोशिशों को नुक़सान पहुंचा सकता है. हालांकि कि यह कोई पहली बार नहीं है, जब दोनों देशों के राय अलग अलग है, इससे पहले भी दोनों देशों के बीच तनाव सामने आ चुके हैं. 


एक दूसरे के सामने आने से बच रहे नेता 


इसी साल जनवरी में यूएई की राजधानी अबू धाबी में हुए एक सम्मलेन में  मध्य-पूर्व के नेता मौजूद दिखे लेकिन सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान उसमें शिरकत करने नहीं पहुंचे. इस घटना के बाद यह साफ हो गया कि देशों देशों के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा. इससे पहले पिछले दिसंबर में यूएई के शीर्ष नेता राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान भी सऊदी की राजधानी रियाद में आयोजित हाई प्रोफाइल चीन-अरब सम्मेलन में शामिल नहीं हुए थे.


दोनों देशों के बीच तनाव की मुख्य वजह 


सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात अर्थव्यवस्था और जनसंख्या के मामले में खाड़ी सहयोग परिषद में दो सबसे बड़े देश हैं, ऐसे में उनके प्रतिस्पर्धा हमेशा बनी रहती है. दोनों देशों के बीच हमेशा आर्थिक, राजनीतिक और रणनीतिक साझेदारी रही है, हालांकि हाल के दिनों में विदेशी निवेश और तेल बाजार में प्रभाव बढ़ाने के लिए दोनों के बीच टकराव की स्थिति देखने को मिली है. और इसी वजह से दोनों देश कई मोर्चों पर अलग हो गए हैं. ये दोनों देश यमन युद्ध को लेकर भी अपने रास्ते बदल चुके हैं. 


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