एम्नेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में सऊदी अरब में 184 लोगों को मौत की सजा दी गई. इससे पहले कभी किसी साल इतनी बड़ी संख्या में लोगों को मौत की सजा नहीं दी गई थी. आपको बता दें कि सऊदी अरब में मौत की सजा आम बात है.


जब दुनिया में मौत की सजाएं कम हो रही हैं तब इस देश में मौत की सजा का आंकडा बढ़ता जा रहा है. मंगलवार को डेथ पेनल्टी के ग्लोबल रिव्यू में पता चला कि 2019 में सऊदी अरब ने 184 लोगों को नौत की सजा दी.


2019 में सभदी अरब में 178 आदमियों और 6 औरतों को ये सजा दी. इनमें से आधे लोग दूसरे देशों के थे. मौत की सजा का ये आंकडा 2018 में 149 था. अधिकतर मामले ड्रग केस और कत्ल के थे जिनमें ये सजाएं दी गईं.


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दुनिया के केवल 20 देशों में इस तरह की सजाएं दी जाती हैं. 2019 में चीन में कई लोगों को मौत की सजा दी गई. ईरान में करीब 251 लोगों को मौत की सजा दी गई. सऊदी अरब में 184 लोगों को, इराक में करीब 100 लोगों को और मिस्त्र में करीब 32 लोगों को मौत की सजा दी गई.


ईरान इस लिस्ट में चीन से पीछे है. चीन में इस तरह के आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया जाता है. देश इस बात को एक राज की तरह रखता है. इराक में भी मौत की सजाएं बढ़ रही हैं. 2018 में 690 लोगों को मौत की सजाएं मिली थीं जबकि 2019 में ये आंकडा 657 रहा.


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हालांकि 2010 से अब तक ऐसा पहली बार हुआ है जब अफगानिस्तान में ऐसी कोई सजा नहीं दी गई है. 2011 के बाद एशिया पैसेफिक में मौत की सजाओं की संख्या कम हुई है.


एम्नेस्टी इंटरनेशनल के एक अधिकारी ने कहा कि मौत की सजाओं से अपराध कम नहीं होते हैं. सऊदी अरब डेथ पेनल्टी को राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है और ये बात चिंताजनक है.