Saudi Arabia On Jammu Kashmir: सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने भारत के जम्मू और कश्मीर की मुस्लिम आबादी के लिए अपना समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि देश मुस्लिम लोगों की इस्लामी पहचान बनाए रखने और उनकी गरिमा को बनाए रखने में उनके साथ खड़ा है.


सऊदी अरब के प्रिंस फैसल बिन फरहान बिन अब्दुल्ला ने बुधवार (20 सितंबर) को इस्लामिक संगठन (OIC) के तरफ से आयोजित जम्मू और कश्मीर के संपर्क समूह की एक बैठक में जम्मू और कश्मीर के लोगों सहित चल रहे संघर्ष और अशांति के कारण क्षेत्र में पीड़ित लोगों के लिए सऊदी अरब के समर्थन को दोहराया. 


शांतिपूर्ण समाधान हासिल करने की बात
सऊदी अरब की आधिकारिक सऊदी प्रेस एजेंसी (SPA) ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के मौके पर (OIC) की बैठक की सूचना दी. मंत्री ने कहा कि सऊदी अरब क्षेत्र में किसी भी संघर्ष को बढ़ने से रोकने और अंतरराष्ट्रीय प्रस्तावों के अनुसार शांतिपूर्ण समाधान हासिल करने के लिए संबंधित पक्षों के बीच मध्यस्थता प्रयासों में लगा हुआ है.


IOC के महासचिव ने क्या कहा
IOC के महासचिव हुसैन इब्राहिम ताहा ने बैठक को भारत के अनुच्‍छेद 370 को खत्‍म करने के 4 साल पूरे होने पर आयोजित किया था.हुसैन इब्राहिम ताहा ने बैठक के दौरान गुहार लगाई कि वे जम्‍मू-कश्‍मीर विवाद को संयुक्‍त राष्‍ट्र के प्रस्‍तावों के मुताबिक सुलझाने के लिए ठोस कदम उठाए. वैसे सऊदी विदेश मंत्री और ओआईसी के महासचिव का बयान ठीक उसी तरह का है, जैसे पाकिस्‍तान बोलता है. सऊदी अरब IOC  संस्थापक है.


जम्मू और कश्मीर संघर्ष
अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाने वाला विश्व प्रसिद्ध पर्वतीय क्षेत्र 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद से संघर्ष से भरा हुआ है, जब ब्रिटिश शासकों ने भारतीय उपमहाद्वीप को विभाजित किया था. कश्मीरी अलगाववादियों ने 1989 में पाकिस्तान के साथ मिलने और भारत से पूर्ण स्वतंत्रता की मांग करते हुए एक सशस्त्र विद्रोह शुरू किया. इसके परिणामस्वरूप भारत सरकार ने क्षेत्र में भारतीय शासन के खिलाफ चरमपंथी उग्रवादी विद्रोह और सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों पर कार्रवाई की गई.


वहीं मुस्लिम कश्मीरी विद्रोह का समर्थन करते हैं. भारत हमेशा से इस बात पर जोर देती है कि कश्मीर में आतंकवादी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का हिस्सा हैं. हालांकि, पाकिस्तान इस आरोप से इनकार करता है.


विभाजन के बाद से कश्मीर पर विवाद के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच दो युद्ध हुए और कई अन्य सशस्त्र झड़पें हुईं, जिनमें हजारों नागरिक, विद्रोही और सरकारी बल मारे गए.


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