Saudi Arabia Government Punishment: सऊदी अरब में सरकार का विरोध करना लॉ के एक प्रोफेसर को महंगा पड़ा. उसे ट्विटर अकाउंट ऑपरेट करने और सरकार विरोधी समाचार को वॉट्सऐप पर शेयर करने के आरोप में मौत की सजा दी गई है. 65 साल के इस प्रोफेसर का नाम अवध अल-क़रनी है. नए क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व वाली सऊदी सरकार के खिलाफ असहमति वाली खबर को शेयर करने के आरोप में अवध अल-करनी को पुलिस ने अरेस्ट किया था.


द गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब सरकार जहां अल-क़रनी को खतरनाक और देश विरोधी उपदेशक करार देती है, तो वहीं उनके सपोर्टर उन्हें प्रसिद्ध बुद्धिजीवी मानते हैं. ट्विटर पर अल-करनी के 20 लाख फॉलोअर्स हैं.


बेटे ने दुनिया को बताया अपना दर्द


अल-करऩी के बेटे नासेर ने अपने पिता पर सऊदी सरकार की तरफ से किए जा रहे अत्याचारों का  खुलासा किया है. नासेर फिलहाल सऊदी अरब से भाग कर यूके में रह रहे हैं. उनके इस खुलासे के बाद कई मानवाधिकार वकील और निर्वासन में रह रहे सऊदी अरब सरकार के अन्य विरोधी सामने आए हैं. उनका कहना है कि सऊदी अरब साम्राज्य में अधिकारी सरकार की आलोचना करने वालों पर लगातार सख्त कार्रवाई कर रहे हैं.


सरकार के विरोध में पहले भी कई लोगों को मिली सजा


हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब क्राउन प्रिंस की तरफ से किसी सऊदी विरोधी के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई की गई है. पिछले साल नवंबर में ही सऊदी अरब की एक महिला को किंग सलमान और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के खिलाफ लिखना भारी पड़ा था.


महिला ने ट्विटर पर 'धर्म और न्याय को चुनौती देने के लिए' क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के खिलाफ लिखा था, जिसके बाद उक्त महिला को 45 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी. पश्चिमी देशों ने इस सजा की निंदा की थी. वहीं इस सजा ने खाड़ी देशों में मानवाधिकारों की वास्तविक स्थिति को भी उजागर किया था. इसके अलावा भी कई लोगों को सरकार के खिलाफ लिखने पर सजा मिल चुकी है.


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