Saudi Arab New Rule: कट्टर इस्लामिक देश कहे जाने वाले सऊदी अरब में क्राउन प्रिंस ने मस्जिदों में इफ्तार पार्टी करने पर रोक लगा दी है. यह आदेश तब जारी किया गया, जब मुस्लिमों का पवित्र महीना रमजान आने वाला है. माना ये जा रहा है कि मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) सऊदी अरब से कट्टर होने का दाग हटाना चाहते हैं. इसी के तहत लगातार शरिया कानून में ढील दी जा रही है.
मुस्लिमों के लिए सबसे पवित्र स्थल मक्का और मदीना भी सऊदी अरब में ही है. सऊदी के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान इन दोनों पवित्र स्थलों के संरक्षक भी हैं. ऐसे में सऊदी अरब अपने आप को इस्लाम के अगुवा देश के तौर पर पेश करता है. वहीं अब मुल्क की मस्जिदों में इफ्तार पार्टी के आयोजन पर बैन लगाने के बाद चर्चा तेज हो गई है कि क्राउन प्रिंस सऊदी अरब को रूढ़िवादी मुस्लिम देश से मॉडर्न इस्लामिक कंट्री की तरफ ले जाना चाहते हैं.
इस्लामिक मुल्क बनाने पर था जोर
अगर सऊदी की बात करें तो इसकी स्थापना ही कट्टर इस्लामकि देश के तौर पर हुई है. ऑटोमन साम्राज्य से निकलने के बाद सऊदी अरब में लगातार कट्टर इस्लामिक मुल्क बनाने पर जोर दिया गया. क्राउन प्रिंस के ही पूर्वजों ने सऊदी अरब में शरिया कानून लागू किया. यहां चोरी करने पर हांथ काटने का नियम दुनियाभर में जाना जाता है. इतिहासकारों के मुताबिक ईरान में क्रांति के बाद सऊदी अरब ने वैचारिक सहमति के साथ इस्लाम को बढ़ावा देने के लिए खूब फंडिंग भी की थी.
नवभारत टाइम्स के मुताबिक तेल से आ रहे पैसे की वजह से सऊदी अरब में खूब कट्टरपंथी इस्लाम का बोलबाला रहा. लेकिन साल 2021 में अमेरिका के न्यूयार्क में 9/11 हमला होने के बाद दुनियाभर में इस्लामिक कट्टरवाद का खूब विरोध हुआ. इसी दौरान सऊदी अरब में बड़े परिवर्तन हुए, सलमान अब्दुल बिन अजीज सऊदी के किंग बने और उनके बेटे मोहम्मद बिन सलमान क्राउन प्रिंस बने. अब मोहम्मद बिन सलमान के हांथ में बागडोर आने के बाद सऊदी की तस्वीरें बदल रही हैं.
इकोनामी का विकल्प तैयार कर रहा सऊदी अरब
ब्रिटिश अखबार गार्डियन के मुताबिक साल 2017 में ही मोहम्मद बिन सलमान ने कहा था कि वह देश को कट्टरवाद से निकालकर मॉडर्न इस्लामिक कंट्री बनाना चाहते हैं. माना ये जा रहा है कि दुनिया अब सिर्फ पेट्रोलियम पर निर्भर नहीं है. कई तरह के ईंधन अब विकल्प के रूप में आ गए हैं. अगर सऊदी ने जल्द ही अपने देश की इकोनामी के लिए अन्य विकल्प तैयार नहीं करेगा तो गंभीर आर्थिक संकट आ सकता है. ऐसे में देश को इस्लामकि कट्टरवाद से ऊपर आना होगा.